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नागपुर हिंसा पर ओवैसी ने सरकार को ठहराया जिम्मेदार, बताया इंटेलिजेंस फेलियर

महाराष्ट्र के नागपुर में हाल ही में हुई हिंसा को लेकर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने महाराष्ट्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने इसे सरकार की विफलता और इंटेलिजेंस फेलियर करार दिया। ओवैसी का कहना है कि इस हिंसा के पीछे सरकार के कुछ मंत्रियों द्वारा दिए गए भड़काऊ बयान भी जिम्मेदार हैं।

“सरकार की नाकामी से भड़की हिंसा”

मंगलवार को संसद परिसर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए ओवैसी ने कहा, “मैं हिंसा की निंदा करता हूं, लेकिन हमें पूरी तस्वीर को देखना चाहिए। सरकार के मंत्री खुद भड़काऊ बयान दे रहे हैं, जबकि उन्होंने भारत के संविधान की शपथ ली है। वे कानून का पालन करने के बजाय माहौल बिगाड़ने वाले बयान दे रहे हैं। यह बहुत गलत है। यह पूरी तरह से सरकार की जिम्मेदारी और नाकामी है। यह इंटेलिजेंस फेलियर है। यह हिंसा एक मंत्री के घर के पास भी हुई है।”

कुरान की आयतें जलाने का आरोप

ओवैसी ने दावा किया कि हिंसा से पहले नागपुर के कुछ इलाकों में कुरान की आयतें लिखे हुए कपड़े जलाने की घटनाएं हुई थीं, जिसकी शिकायत हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों ने की थी, लेकिन प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की।

उन्होंने कहा, “कुरान की आयतें एक कपड़े पर लिखी हुई थीं, जिसे जलाया गया। जब यह घटना हुई तो हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के लोगों ने डीसीपी से शिकायत की और इस पर रोक लगाने की मांग की, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद शाम को हिंसा भड़क गई।”

क्या था नागपुर हिंसा का कारण?

नागपुर में सोमवार रात हिंसा तब भड़की, जब अफवाहें फैलीं कि एक धार्मिक ग्रंथ को प्रदर्शन के दौरान जला दिया गया था। यह प्रदर्शन एक दक्षिणपंथी संगठन द्वारा औरंगजेब की कब्र हटाने की मांग को लेकर किया जा रहा था।

इस अफवाह के बाद तनाव फैल गया और शहर के कुछ हिस्सों में झड़पें हुईं। हालात को काबू में लाने के लिए पुलिस को भारी बल प्रयोग करना पड़ा।

सरकार पर सवाल, कार्रवाई की मांग

ओवैसी ने इस पूरे मामले को लेकर महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया कि आखिर इंटेलिजेंस एजेंसियां पहले से कोई जानकारी क्यों नहीं जुटा पाईं और हिंसा को रोकने के लिए कदम क्यों नहीं उठाए गए। उन्होंने इस घटना की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।

अब देखना यह होगा कि महाराष्ट्र सरकार इस हिंसा के पीछे की सच्चाई को सामने लाने के लिए क्या कदम उठाती है।