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Sunday, April 20   10:32:39

एक सेकेंड की लापरवाही पूरी ज़िंदगी की तबाही लिखती है …….

हालांकि सड़कें किसी भी देश की प्रगति और विकास का प्रतीक होती हैं, लेकिन जब यही सड़कें मौत का कारण बन जाती हैं, तो यह एक गंभीर समस्या बन जाती है। भारत में हर साल लाखों लोग सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होते हैं, जिनमें से कई अपनी जान गंवा बैठते हैं। हाल ही में हुए वडोदरा सड़क हादसे ने एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या हमारे ट्रैफिक नियम और सुरक्षा उपाय पर्याप्त हैं?

तेज़ रफ्तार का कहर
भारत में सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारणों में से एक तेज़ रफ्तार है। कई बार लोग समय बचाने के लिए रफ़्तार बढ़ाते हैं, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि सड़क पर उनकी एक गलती जानलेवा साबित हो सकती है।

नशे में ड्राइविंग
“शराब पीकर वाहन न चलाएँ” – यह नारा सिर्फ़ बोर्डों तक सीमित रह गया है। हकीकत यह है कि हर साल हजारों दुर्घटनाएँ सिर्फ़ इस वजह से होती हैं क्योंकि लोग शराब के नशे में गाड़ी चलाते हैं।
इसका सबसे हालिया उदाहरण वडोदरा गुजरात में हुआ सड़क हादसा जिसने सबका दिल दहला दिया हालांकि में इस केस की गहराई में नहीं जाना चाहूंगी पर इस हादसे का सबसे बड़ा कारण नशे में होकर कार ड्राइव करना !

यातायात नियमों की अनदेखी
जब लगता ट्रैफिक भीड़ बढ़ती जा रही है तो अपने काम के लिए घर से जल्दी निकले कारण की रेड लाइट रूल तोड़ना, हेलमेट न पहनना, सीट बेल्ट न लगाना ये छोटी-छोटी लापरवाहियाँ कई परिवारों को बर्बाद कर देती हैं। क्या हमें नियमों का पालन करने के लिए जुर्माने और सजा की जरूरत है या खुद की सुरक्षा की चिंता होनी चाहिए?

सड़कों की खराब स्थिति
गड्ढों से भरी सड़कें और सही रोड इंजीनियरिंग का अभाव भी दुर्घटनाओं को बढ़ावा देता है। सरकारी एजेंसियों की ज़िम्मेदारी बनती है कि वे सड़क निर्माण को गंभीरता से लें और उन्हें समय-समय पर मेंटेन करें

एम्बुलेंस और मेडिकल सहायता की कमी
कई बार दुर्घटना के बाद समय पर मेडिकल सहायता नहीं मिल पाती, जिससे घायलों की जान चली जाती है। सवाल यह है कि क्या हमारे अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर इस स्थिति के लिए तैयार हैं?

जरा सब्र करें– एक ज़रूरी अपील
आज के दौर में हर कोई जल्दी में है, लेकिन क्या यह जल्दी किसी की जान से ज्यादा कीमती है? अगर हम थोड़ी सावधानी बरतें और नियमों का पालन करें, तो कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है।
“अपनी रफ़्तार पर लगाम लगाएँ, सड़क को रणभूमि न बनाएँ!”

अब समय आ गया है कि हम अपनी ज़िम्मेदारी समझें और सड़क सुरक्षा को एक आंदोलन के रूप में अपनाएँ। क्योंकि हर ज़िंदगी अनमोल है, और एक छोटी सी सावधानी बड़े हादसे को टाल सकती है।