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Tuesday, May 6   4:19:07

सरहद पार अब बढ़ेंगी धड़कनें ; पाकिस्तान बॉर्डर पर के पास कल दिखेगा महायुद्ध का ट्रेलर, NOTAM जारी

हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारतीय वायुसेना (IAF) एक बार फिर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने जा रही है। भारत ने पाकिस्तान सीमा के निकट दक्षिणी क्षेत्र में 7 और 8 मई को होने वाले व्यापक हवाई युद्धाभ्यास की घोषणा की है। इस अभ्यास के लिए भारतीय वायुसेना ने नोटिस टू एयरमेन (NOTAM) जारी किया है, जो इसकी गंभीरता और महत्व को दर्शाता है।

कब और कहां होगा यह युद्धाभ्यास?

जानकारी के मुताबिक, यह हवाई युद्धाभ्यास राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में आयोजित किया जाएगा, जो भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा के करीब है। NOTAM के अनुसार, यह अभ्यास 7 मई को रात 9:30 बजे शुरू होगा और 8 मई को तड़के 3:00 बजे तक चलेगा। इस दौरान प्रभावित क्षेत्रों में किसी भी प्रकार के विमान, ड्रोन या अन्य उड़ान गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध रहेगा।

क्या है इस अभ्यास का मकसद?

यह युद्धाभ्यास भारतीय वायुसेना की नियमित परिचालन तत्परता का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य युद्ध जैसे हालात में त्वरित और प्रभावी कार्रवाई की क्षमता को परखना है। इस दौरान अत्याधुनिक फाइटर जेट, निगरानी विमान और अन्य सैन्य उपकरण अपनी ताकत का प्रदर्शन करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह अभ्यास न केवल वायुसेना की युद्ध तैयारियों को मजबूत करेगा, बल्कि सीमा पर बढ़ते तनाव के बीच एक मजबूत संदेश भी देगा।

क्यों है यह अभ्यास महत्वपूर्ण?

पहलगाम हमले के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव चरम पर है। हाल के महीनों में सीमा पार से होने वाली गतिविधियों ने दोनों देशों के बीच स्थिति को और जटिल बना दिया है। ऐसे में यह हवाई युद्धाभ्यास न केवल भारत की सैन्य ताकत को प्रदर्शित करेगा, बल्कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता के लिए भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करेगा।

NOTAM का क्या है महत्व?

NOTAM (नोटिस टू एयरमेन) एक अंतरराष्ट्रीय प्रोटोकॉल है, जो किसी भी हवाई गतिविधि से पहले अन्य देशों और विमानन संगठनों को सूचित करता है। इस अभ्यास के लिए जारी NOTAM से यह स्पष्ट है कि भारत अपनी सैन्य गतिविधियों में पारदर्शिता बरत रहा है, साथ ही क्षेत्र में किसी भी अनावश्यक गतिविधि को रोकने के लिए कड़े कदम उठा रहा है।

भारत की सैन्य तैयारियां

भारतीय वायुसेना अपने आधुनिक बेड़े, जिसमें राफेल, सुखोई-30, मिराज-2000 जैसे फाइटर जेट शामिल हैं, के साथ इस अभ्यास में हिस्सा लेगी। इसके अलावा, अत्याधुनिक रडार सिस्टम और ड्रोन निगरानी भी इस युद्धाभ्यास का हिस्सा होंगे। यह अभ्यास न केवल वायुसेना की तकनीकी क्षमता को परखेगा, बल्कि विभिन्न सैन्य इकाइयों के बीच समन्वय को भी मजबूत करेगा।

निष्कर्ष

ऐसे समय में जब भारत-पाकिस्तान सीमा पर तनाव अपने चरम पर है, भारतीय वायुसेना का यह हवाई युद्धाभ्यास एक रणनीतिक कदम है। यह न केवल भारत की सैन्य ताकत और तैयारियों को दर्शाता है, बल्कि क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के प्रति भारत की दृढ़ प्रतिबद्धता को भी उजागर करता है। इस अभ्यास पर न केवल भारत, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भी नजरें टिकी होंगी।