भारत का मून मिशन चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर भारत का झंडा गाड चुका है। साफ्ट लैंडिंग के साथ ही लैंडर विक्रम अपना काम शुरू कर चुका है। चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के समान होता है। ऐसे में चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों तक चांद की सतह पर नई-नई खोज करता रहेगा।
विज्ञानिकों द्वारा चंद्रयान को चांद की इस स्थिति में लैंडिंग करना के पीछे भी कई कारण छुपे हुए हैं। जितना जरुरी विज्ञान के लिए चांद है उतना ही धार्मिक दृष्टि से भी चांद की अहमियत है। भारतीय संस्कृति, धर्म, ज्योतिष शास्त्र में चांद महत्वपूर्ण स्थान रखता है। कवियों ने भी चांद पर बेशुमार शायरियां लिखीं हैं उन्होंने भी चांद को अपनी कविताओं में एक अलग ही पदवी दी है। आज हम जानेंगे की धार्मिक रूप से चांद का क्या महत्व है।
हिंदू धर्म में चंद्रमा को बेहद अहम माना गया है। चांद सृष्टि, जीवन, भावनाओं, मनोदशा और मन के कई सवालों को दर्शाता है। ये सभी किसी ना किसी रूप से चांद से संबंध रखते हैं।
ज्योतिष शास्त्र में चांद की अहमियत
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, चंद्रमा मानसिक और भावनात्मक शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। आकार में बढ़ता हुआ प्रकाशित चंद्रमा शुभ माना जाता है। वहीं ढलता हुआ चंद्रमा अशुभ माना जाता है। चंद्रमा को उसकी स्थिति और आकार के आधार पर शुभ-अशुभ मानने की रीत सदियों पुरानी है।
माना जाता है कि पूर्णिमा में चंद्रमा पृथ्वी पर अपनी पॉजिटीव ऐनर्जी फैलाता है। यह अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और दीर्घायु को प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा सबसे तेज गति से चलने वाला ग्रह है। इसलिए यह सवा दो दिन में एक राशि से दूसरी राशि में अपना स्थान बदल लेता है।
वहीं ज्योतिष शास्त्र तो चंद्रमा और सूरज दोनों के बिना अधूरा है। ज्योतिषियों के लिए ये अहम स्थान रखते हैं। आपकी उम्र और मानसिक स्थिति पर इसका बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। चंद्रमा कमजोर होने पर इसका सीधा असर स्वास्थ्य, मन और आयु पर पड़ता है। वहीं किसी की आयु के निर्धारण में इसकी अहम भूमिका है।
पौराणिक मान्यता
पुराणों और वेदों में बताया गया है कि चांद की उत्पत्ति समुद्र मंथन के वक्त हुई थी जिसके बाद भगवान भोले ने उन्हें अपने सर पर विराजित कर लिया। समुद्र मंथन से इसकी उत्पत्ति होने के चलते इसे मां लक्ष्मी और कुबेर का भाई माना जाता है। ब्रह्मा जी ने इन्हें बीज, औषधि, जल और ब्राह्मणों का राजा माना गया है।
हिन्दू त्योहारों में चांद की भूमिका
हिंदू धर्म के त्योहारों का चांद से गहरा रिश्ता है। ऐसे कई व्रत है जो चांद का दीदार करने के बाद ही पूरे माने जाते हैं। करवाचौथ पर भी भारतीय महिलाएं चांद को देखकर अपना उपवास तोड़ती हैं। सूर्य प्रत्यक्ष नारायण हैं तो चंद्रमा राकेश यानी रात के भगवान माने जाते हैं। केवल हिंदू ही नहीं दूसरे धर्मों में भी चांद का उतना ही महत्व है।
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