क्या किसी शहर का प्रशासन आम नागरिक की मौत को बैन कर सकता है?नहीं न…! लेकिन दुनिया में एक ऐसा शहर भी है, जहां की सरकार ने कानून बनाया है कि उस शहर में कोई मर नहीं सकता।
जन्म और मृत्यु प्रत्येक जीवन की प्राकृतिक नियति है।जिसे हम सभी ने स्वीकार किया है।यह कुदरत का नियम हर जीव मात्र को लागू होता है।समाज के रीति रिवाज़ो के अनुसार मृत्यु के बाद उसकी अंतिम बिदाई भी की जाती है। लेकिन अगर कोई सरकार मौत पर ही प्रतिबंध लगा दे तो!!
ये कोई हवा में बात नहीं है,ये सत्य है।
नॉर्वे का स्वालबार्ड आइलैंड… यहां पिछले 70 सालों से कोई व्यक्ति नहीं मरा है।यहां पर यमराज को है नो एंट्री। इस शहर में अधिकतर लोग ईसाई धर्म का पालन करते है।सन 1917 में यानि 117 साल पहले एक व्यक्ति की इन्फ्लूएंजा की बीमारी के चलते मौत हो गई थी।उसे यहां दफन किया गया था,लेकिन उत्तरी ध्रुव पर स्थित इस शहर में भीषण ठंड के कारण यह का वातावरण ही कोल्ड स्टोरेज का काम करता है।इसलिए मृतदेह सड़ता नहीं है।उस व्यक्ति के शरीर में आज भी इंफ्यूएंजा के वायरस जीवित है। 2000 लोगों की जनसंख्या वाले इस शहर की सरकार ने इसी वजह से यहां पर मौत को कानूनी तौर पर बैन किया है। यहां पर ज्यादा बीमार पड़ने पर व्यक्ति दूसरे शहर के ले जाया जाता है,और मृत्यु होने पर वहीं पर दफन किया जाता है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि नॉर्वे को मिड नाइट सन के नाम से भी जाना जाता है।मई से जुलाई अंत तक सूर्यास्त ही नहीं होता। 76 दिनों तक यहां रात नहीं होती।स्वालबार्ड में भी सूर्य 10अप्रैल से 23अगस्त तक नहीं डूबता।
उत्तर ध्रुव की विषम स्थितियां सरकार को मौत पर प्रतिबंध लादने जैसे कड़े फैसले लेने मजबूर करती है।एक अनोखा फैसला।
More Stories
COLDPLAY कॉन्सर्ट के लिए कतार में 1 लाख लोग, टिकट की कीमत सुनकर हो जाएंगे दंग
झांसी के अस्पताल में खौफनाक हादसा: भीषण आग में 10 नवजातों की जलकर मौत, परिवार में कोहराम – जांच शुरू
National Press Day 2024: मीडिया की स्वतंत्रता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का बदलता दौर