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Tuesday, May 6   4:16:20

विकास की नई डगर ; वडोदरा में प्लास्टिक से बनेगी इको-फ्रेंडली सड़क

वडोदरा जिले के शिनोर तालुका में साधली से सेगवा को जोड़ने वाला स्टेट हाईवे अब केवल एक सड़क नहीं रहेगा, बल्कि पर्यावरण-संरक्षण की दिशा में एक अहम कदम बनकर उभरेगा। लगभग ₹10.19 करोड़ की लागत से बनने वाली इस सड़क की आधारशिला जल्द ही रखी जाएगी। खास बात यह है कि इस सड़क का निर्माण प्लास्टिक कचरे से किया जाएगा – वही प्लास्टिक, जो अब तक पर्यावरण के लिए खतरा माना जाता था।

प्लास्टिक से सड़क: स्वच्छता से सस्टेनेबिलिटी तक
यह सड़क कारजन और शिनोर तालुका को जोड़ने वाली प्रमुख सड़क होगी, जो साधली, सेगवा, अवाखल, मिंढोल, मांजरोळ और टेरसा जैसे गांवों के लोगों के लिए रोज़मर्रा के आवागमन का ज़रिया बनेगी। मानसून में पानी भराव की समस्या से जूझने वाले इस मार्ग को अब स्थायी समाधान मिल गया है। सड़क एवं भवन विभाग के कार्यकारी अभियंता नैनेश नायकवाला ने बताया कि अवाखल गांव और एक फैक्ट्री के पास पानी भरने की समस्या को इस परियोजना के तहत सुलझा लिया गया है।

स्वच्छता ही सेवा अभियान से प्रेरित नवाचार
“स्वच्छता ही सेवा” अभियान के तहत इस सड़क निर्माण में प्लास्टिक कचरे का उपयोग किया जाएगा। भारत सरकार का सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) वर्ष 2013 से ही प्लास्टिक मिश्रित बिटुमिनस परत का उपयोग कर रहा है। रिसर्च और प्रयोगों के सकारात्मक परिणामों के बाद अब इस टेक्नोलॉजी को जमीनी स्तर पर बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है। इसमें लो डेंसिटी और हाई डेंसिटी पॉलीथीन जैसे थर्मोप्लास्टिक का उपयोग होता है, जो आमतौर पर दूध के पाउच, सौंदर्य प्रसाधनों की पैकिंग, डिटर्जेंट और घरेलू उपयोग की वस्तुओं से प्राप्त होता है।

मजबूत सड़क, साफ़ पर्यावरण और आत्मनिर्भर भारत की ओर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिए टिकाऊ विकास की दिशा में ऐसे नवाचारों को बढ़ावा दिया है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी इस सोच को समर्थन देते हुए गुजरात को प्लास्टिक अपशिष्ट के पुनः उपयोग में अग्रणी राज्य बनाने की पहल की है।

इस प्रकार की पहल केवल सड़कों को ही नहीं, बल्कि भविष्य की सोच को भी मजबूत करती हैं। जब हम कचरे को संसाधन के रूप में देखना शुरू करते हैं, तभी सच्चे मायनों में ‘सस्टेनेबिलिटी’ का रास्ता खुलता है। प्लास्टिक कचरे से बनी सड़कें न केवल टिकाऊ होती हैं, बल्कि यह हमें पर्यावरण सुधार के साथ आत्मनिर्भर भारत की ओर भी ले जाती हैं। वडोदरा की यह पहल निश्चित ही देश के अन्य हिस्सों के लिए प्रेरणा बनेगी।