हालही में भारत के केंद्रीय गृह मंत्रालय से एक खबर सामने आ रही है कि Indian Penal Code (IPC), the Code of Criminal Procedure (CrPC) and the Indian Evidence Act को ख़ारिज कर, उनके बदले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 1 जुलाई, 2024 से लागु किया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को इस आशय की गजट अधिसूचना जारी की थी। भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 106 की उपधारा (2), जो ‘तेज और लापरवाही से वाहन चलाने से किसी व्यक्ति की मृत्यु का कारण बनने’ से संबंधित है, को फिलहाल रोक दिया गया है। आपको बता दें कि कानून लागू होने के बाद ट्रक ड्राइवरों ने इस धारा का विरोध किया था, क्यूंकि इसमें उन लोगों को 10 साल की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।
तीनों विधेयकों को पहली बार 11 अगस्त, 2023 में लोकसभा में पेश किया गया था, जिसके बाद आगे की जांच के लिए बृज लाल की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति को भेजा गया था। इन्हें 21 दिसंबर को राज्यसभा द्वारा पारित किए जाने से पहले 20 दिसंबर को लोकसभा द्वारा पारित किया गया था।
जनवरी में, प्रधान मंत्री ने इस बात पर जोर दिया था कि नए आपराधिक कानून “नागरिक पहले, सम्मान पहले और न्याय पहले’ की भावना के साथ बनाए गए हैं और पुलिस को अब ‘डंडा’ के साथ काम करने के बजाय “डेटा” के साथ काम करने की जरूरत है।
राजद्रोह कानून के नए अवतार में अलगाव, सशस्त्र विद्रोह, विध्वंसक गतिविधियां, अलगाववादी गतिविधियां या संप्रभुता या एकता को खतरे में डालने जैसे अपराध भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत सूचीबद्ध हैं। आतंकवाद शब्द को पहली बार भारतीय न्याय संहिता में परिभाषित किया गया है।
इसके अलावा, नए कानून जुर्माना लगाने की मजिस्ट्रेट की शक्ति के साथ-साथ अपराधी घोषित करने की गुंजाइश भी बढ़ाते हैं। नए कानूनों के अनुसार, रिकॉर्ड का निर्माण और आपूर्ति जीरो-FIR, E-FIR, चार्जशीट जैसे इलेक्ट्रॉनिक रूप में होगी और पीड़ितों को डिजिटल रूप में जानकारी प्रदान की जाएगी।
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