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महाराष्ट्र की सियासत का नया अध्याय: फडणवीस बनेंगे मुख्यमंत्री, शिंदे और अजित पवार देंगे साथ

महाराष्ट्र की राजनीति ने एक बार फिर बड़ा मोड़ लिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस को राज्य का अगला मुख्यमंत्री चुना गया है। उनकी सरकार में दो डिप्टी सीएम, एकनाथ शिंदे और अजित पवार, उनके साथ जिम्मेदारी संभालेंगे। महायुति (भाजपा-शिवसेना-एनसीपी) ने राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया है।

नए समीकरण और सत्ता की साझेदारी

महायुति को हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में 230 सीटों का स्पष्ट बहुमत मिला। भाजपा ने 132 सीटों पर, शिवसेना (शिंदे गुट) ने 57 सीटों पर, और एनसीपी (अजित पवार गुट) ने 41 सीटों पर जीत दर्ज की। चुनाव नतीजों के बाद सत्ता का बंटवारा तय करते हुए यह सहमति बनी कि मुख्यमंत्री पद भाजपा को मिलेगा, जबकि डिप्टी सीएम के दो पद एनसीपी और शिवसेना गुट के हिस्से में जाएंगे।

विभागों को लेकर खींचतान

हालांकि, सरकार गठन से पहले गृह और वित्त मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर असहमति की खबरें आईं। भाजपा गृह मंत्रालय अपने पास रखना चाहती है, जबकि शिंदे गुट ने इस पर दावा जताया। अजित पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी गुट वित्त मंत्रालय पर अपनी पकड़ बनाए रखना चाहता है। इन विभागों के बंटवारे का अंतिम समाधान अब तक सामने नहीं आया है।

शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी

देवेंद्र फडणवीस का शपथ ग्रहण समारोह 5 दिसंबर को मुंबई के आजाद मैदान में शाम 5:30 बजे होगा। इस समारोह में भाजपा के बड़े नेताओं और गठबंधन के प्रमुख चेहरे शामिल होंगे।

सियासी समीकरणों पर नजर

देवेंद्र फडणवीस की यह नई पारी कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण है। उनके पिछले कार्यकाल को उनके प्रशासनिक कौशल और विकास कार्यों के लिए सराहा गया था। अब देखना होगा कि शिवसेना और एनसीपी जैसे सहयोगी दलों के साथ उनकी सरकार कैसे सामंजस्य बनाएगी।

क्या कहते हैं ये नतीजे?

महाराष्ट्र में इस महागठबंधन का बनना भाजपा की कुशल रणनीति और गठबंधन राजनीति की सफलता का उदाहरण है। यह गठबंधन विकास, स्थायित्व, और जनहित के मुद्दों पर काम करने का दावा कर रहा है। हालांकि, सत्ता-साझेदारी और विभागीय विवाद भविष्य में सरकार के सामने चुनौतियां ला सकते हैं।

इस गठबंधन की सफलता का दारोमदार फडणवीस की नेतृत्व क्षमता और उनके सहयोगी दलों के साथ तालमेल पर है। तीन बड़ी पार्टियों के बीच सत्ता-साझेदारी के बावजूद अगर वे राजनीतिक स्थिरता बनाए रखते हैं और जनहित के वादों पर खरे उतरते हैं, तो यह गठबंधन महाराष्ट्र के लिए सकारात्मक साबित हो सकता है।

महाराष्ट्र में यह नई सियासी शुरुआत इतिहास रचने का मौका है, लेकिन इसे एकजुटता, समन्वय, और जनता की उम्मीदों को पूरा करने के वादे से निभाना होगा।