नवरात्रि के उल्लास के बीच एक परिवार में दुःख का साया घिर आया, जब उनकी 18 वर्षीय बेटी बुमिका वाला ने कथित तौर पर आत्महत्या कर ली। यह दर्दनाक घटना तब घटी जब उनके माता-पिता ने उन्हें उनकी खराब सेहत के कारण गरबा में जाने से मना कर दिया।
बुमिका, जो वडोदरा में BBA की पढ़ाई कर रही थी, नवरात्रि के लिए घर आई थी। महज तीन दिन पहले वह तेज बुखार से ग्रसित हो गई थी। 2 अक्टूबर को, जब उसने अपनी सोसायटी, सुभाष सोसायटी में गरबा में जाने की जिद की, तो उसके माता-पिता ने उसे अनुमति नहीं दी। उसके पिता, अश्विन ने सुझाव दिया कि वह बुखार और कमजोरी ठीक होने के बाद गरबा में भाग ले।
पुलिस का कहना है कि बुमिका इस मना करने और उसके बाद हुई बहस से आहत हो गई। उस दिन, जब घर में कोई नहीं था, तो उसने एक दुपट्टे के सहारे पंखे से लटककर आत्महत्या कर ली। उसके माता-पिता जब लौटे तो उन्होंने उसे लटकते हुए देखा और तुरंत अस्पताल ले गए, जहां शुक्रवार को उसकी मृत्यु हो गई।
इस त्रासदी ने पूरे परिवार और समाज को झकझोर कर रख दिया है। सवाल यह उठता है कि क्या यह आत्मघाती कदम महज गरबा में जाने से मना करने की वजह से उठाया गया, या फिर बुमिका पहले से ही किसी मानसिक परेशानी से जूझ रही थी, जो अब सामने आई? क्या यह संभव है कि एक बार के मना करने से वह इतनी आहत हो गई, या उसके भीतर कुछ और गहरी परेशानियाँ थीं जो उसे अंदर ही अंदर तोड़ रही थीं?
यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या यह सिर्फ गरबा न जा पाने की हताशा थी, या इसके पीछे कोई और सच्चाई छिपी हुई है?
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