शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति का रास्ता हर राष्ट्र के विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, और भारत इस दिशा में लगातार महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, भारत ने शिक्षा को न केवल एक अधिकार के रूप में बल्कि एक शक्ति के रूप में अपनाया है, जो राष्ट्र के हर नागरिक को समृद्धि और अवसरों की दिशा में मार्गदर्शन करता है।
भारत में 11 नवंबर को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस मनाया जाता है, जो स्वतंत्र भारत के पहले शिक्षा मंत्री, मौलाना अबुल कलाम आज़ाद की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का महत्व यह है कि हम अपने शिक्षा प्रणाली की दिशा पर पुनः विचार करें और उसे इस प्रकार मजबूत बनाएं, जिससे देश के हर नागरिक को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सके।
भारत की 65% जनसंख्या 35 साल से कम आयु की है, और यह सुनिश्चित करना कि ये युवा उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्राप्त करें, देश के भविष्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात को स्वीकार किया कि भारत के मध्यवर्गीय परिवारों को अब लाखों रुपये खर्च कर विदेशों में शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है। बल्कि, हमें ऐसे संस्थान तैयार करने चाहिए जो विदेशों से छात्रों को भारत आकर्षित करें।
शिक्षा में सुधार के लिए प्रमुख पहलें
भारत सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में कई बड़े कदम उठाए हैं, जिनका उद्देश्य एक समावेशी, समान और गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रणाली का निर्माण करना है।
- नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (NEP) 2020: प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, 29 जुलाई 2020 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को मंजूरी दी गई। यह नीति भारत के शिक्षा तंत्र को 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुसार पुनर्गठित करने का मार्गदर्शन करती है। इसमें छात्रों की समग्र विकास पर जोर दिया गया है, जिससे वे वैश्विक प्रतिस्पर्धा में सफल हो सकें।
- PM SHRI Schools: पीएम श्री स्कूल योजना, जो 7 सितंबर 2022 को शुरू की गई, 14,500 स्कूलों को सुधारने और उन्हें 21वीं सदी की शिक्षा प्रणाली से लैस करने का लक्ष्य रखती है। इसका उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, संज्ञानात्मक विकास और आधुनिक कौशलों को बढ़ावा देना है।
- समग्र शिक्षा (Samagra Shiksha): यह योजना 1 अप्रैल 2021 से लागू हुई है और इसका उद्देश्य स्कूलों में समावेशी शिक्षा प्रदान करना है, जिसमें हर बच्चे की जरूरतों का ध्यान रखा जाए और उसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले।
- PRERNA और ULLAS: ये दोनों कार्यक्रम विशेष रूप से युवा और वयस्क शिक्षा को सुधारने के लिए शुरू किए गए हैं। PRERNA कार्यक्रम छात्रों को प्रेरित करने और उनकी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक अनूठा शैक्षिक अनुभव प्रदान करता है, जबकि ULLAS का उद्देश्य उन वयस्कों को साक्षरता में सुधार करना है जो औपचारिक शिक्षा से बाहर रह गए थे।
- NIPUN भारत और Vidya Pravesh: इन पहलों के माध्यम से बच्चों के प्रारंभिक शिक्षा को मजबूत किया जा रहा है ताकि वे शिक्षा के शुरुआती चरण में ही साक्षरता और गणितीय कौशल में प्रवीण हो सकें।
- SWAYAM Plus और NIRF रैंकिंग: SWAYAM Plus ने उच्च शिक्षा में सुधार करने का एक नया रास्ता खोला है, जो उद्योग-निर्भर पाठ्यक्रमों और कौशल विकास पर आधारित है। वहीं, NIRF रैंकिंग से भारत के उच्च शिक्षा संस्थानों में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिला है, जिससे इन संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है।
भारत की शिक्षा व्यवस्था में निवेश और बजट आवंटन
भारत सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में अभूतपूर्व निवेश किया है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग को ₹73,498 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 19.56% अधिक है। यह वृद्धि शिक्षा में सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
इसके अतिरिक्त, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भी ₹47,619.77 करोड़ का आवंटन किया गया है, जिससे विशेष योजनाओं पर जोर दिया जा सकेगा और उच्च शिक्षा संस्थानों में सुधार किए जा सकेंगे।
महिलाओं और समाज के पिछड़े वर्गों के लिए अवसर
हाल के आंकड़े यह दिखाते हैं कि भारत में महिला छात्रों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। 2014-15 से 2021-22 तक महिला छात्रों का नामांकन 32% बढ़ा है। इसके साथ ही, अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), और अल्पसंख्यक वर्गों के छात्रों का नामांकन भी बढ़ा है, जो समाज के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।
शिक्षा के माध्यम से देश की शक्ति को बढ़ाना
शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे इन सुधारों से यह स्पष्ट होता है कि भारत का भविष्य शिक्षा पर निर्भर करता है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत का शिक्षा तंत्र आज वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार है। भारतीय शिक्षा को और मजबूत करने के लिए समग्र, समावेशी और गुणवत्तापूर्ण पहलें देश के युवा वर्ग को सशक्त बनाने की दिशा में अहम कदम साबित हो रही हैं।
भारत को वैश्विक शिक्षा केंद्र बनाने के प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में इस तरह के सुधारों की निरंतर आवश्यकता है। इन प्रयासों से न केवल भारत में शिक्षा का स्तर ऊंचा होगा, बल्कि पूरी दुनिया से छात्र भारत में अध्ययन करने के लिए आकर्षित होंगे।
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