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Thursday, March 13   2:14:28

चुनाव पर कविता: राम बोलो भाई राम!

चुनाव आया चुनाव आया झाड़ू पंजा कमल सब लाया
लुभावनी बातों का पुलिंदा
खोल दिया नेता ने देखो चिकनी चुपड़ी में जो आया तो फिर तो तेरा राम बोलो भाई राम!

बिजली पानी सड़क राशन
खर्च पढ़ाई का आनन-फानन
तिसपर तुझसे लेने मत का दान
लो आए खोल बतीसी देखो
चिकनी चुपड़ी में जो आया तो फिर तो तेरा राम बोलो भाई राम!

दिन में सब्ज बाग दिखाएं तारे तोड़ लाने का वादा रूखी सूखी भी छीनने तेरी
लो आ गए लुटेरे देखो चिकनी चुपड़ी में जो आया तो फिर तो तेरा राम बोलो भाई राम!

चुनाव चुनाव का खेल रचा के
जाएगा संसद में यह नेता जूते उछलेंगे फटेंगे कपड़े तू तू मैं मैं करेंगे नेता देखो चिकनी चुपड़ी में जो आया
तो फिर तो तेरा
राम बोलो भाई राम!

रोज़ चलेगी छींटाकशी फिर
बजट आएगा,भाव बढ़ेंगे
चुनावी खर्चे के पर्चे फटेंगे
छुपेंगे करोड़ों स्विस बैंको में देखो
चिकनी चुपड़ी में जो आया
तो फिर तो तेरा
राम बोलो भाई राम!

न पंजा, झाड़ू न कमल खिलेगा
फिर तो तुझको ठेंगा दिखेगा
बिन बिजली की बस्ती को फिर
लगेगा 75वा साल देखो
चिकनी चुपड़ी में जो आया
तो फिर तो तेरा
राम बोलो भाई राम!

इसीलिए अंत में कहती हूं…

ये रास्ते है वोट के
चलना संभल संभल के
तुझको न ये लुभा लें
नेता न यूं मचल के।