उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जिसने समाज की सोच और इंसानियत पर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहाँ एक 20 वर्षीय मुस्लिम युवती के साथ न केवल सरेआम बदसलूकी की गई, बल्कि उसका हिजाब भी जबरदस्ती उतार दिया गया। साथ चल रहे हिंदू युवक को भी भीड़ ने बेरहमी से पीटा।
यह शर्मनाक घटना मुज़फ्फरनगर के ‘खैलपार’ इलाके में घटित हुई, जहाँ दोनों युवक-युवती साथ में टहल रहे थे। तभी कुछ असामाजिक तत्वों ने उन्हें रोका, उनके धर्म को लेकर सवाल उठाए और देखते ही देखते हमला कर दिया। युवती का हिजाब जबरन खींचा गया और युवक को जाति तथा धर्म के आधार पर पीटा गया।
इस पूरी घटना का वीडियो मौके पर मौजूद किसी व्यक्ति ने बना लिया, जो कुछ ही घंटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वायरल वीडियो ने देशभर में गुस्से और चिंता की लहर दौड़ा दी है।
पुलिस का बयान
पुलिस ने इस मामले में FIR दर्ज कर ली है और कहा है कि वीडियो के आधार पर आरोपियों की पहचान की जा रही है। पुलिस अधीक्षक ने आश्वासन दिया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सोशल मीडिया और समाज की प्रतिक्रिया
इस घटना को लेकर सोशल मीडिया पर जमकर प्रतिक्रिया आई है। कई लोगों ने इसे ‘नैतिक पुलिसिंग’ और धार्मिक कट्टरता का घिनौना उदाहरण बताया है। वहीं, समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला करार दिया है।
क्या कहता है यह मामला?
यह सिर्फ एक युवती के हिजाब या एक युवक की पिटाई का मामला नहीं है – यह एक बड़ी सामाजिक बीमारी का लक्षण है, जहाँ लोगों की सोच इतनी संकीर्ण हो गई है कि वे दूसरों की आज़ादी, दोस्ती और अधिकारों को भी बर्दाश्त नहीं कर पा रहे।
मुज़फ्फरनगर की यह घटना हमें झकझोरने के लिए काफी है। सवाल सिर्फ यह नहीं कि किसने क्या पहना या कौन किसके साथ था, सवाल यह है कि क्या हमारा समाज अब भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता, समानता और आपसी सम्मान में यकीन करता है?
अब वक्त है कि हम चुप न रहें। क्योंकि चुप्पी सिर्फ कमजोरी नहीं, अपराध बन जाती है जब अन्याय को बिना आवाज़ के देखा जाए।

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