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Monday, March 17   2:57:29
Music Director Purushottam Upadhyay

‘हे रंगलो’ से लेकर थिएटर की धुनों तक, पुरुषोत्तम उपाध्याय की संगीत यात्रा पर अंतिम विराम

मशहूर गुजराती गायक और संगीतकार पुरूषोत्तम उपाध्याय का 11 दिसंबर को 90 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली।

15 अगस्त, 1934 को गुजरात के खेड़ा में जन्मे पुरुषोत्तम उपाध्याय का संगीत के प्रति जुनून कम उम्र से ही स्पष्ट हो गया था, जिससे उन्हें अपने स्कूल के वर्षों के दौरान कई प्रशंसाएं मिलीं। संगीत के प्रति उनका प्रेम उन्हें करियर बनाने के लिए मुंबई ले गया, लेकिन उनके शुरुआती प्रयासों को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसके कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा।

बिना किसी डर के, उन्होंने थिएटर कंपनियों में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया, जिससे उनकी शानदार यात्रा की शुरुआत हुई। एक परिवर्तनकारी क्षण तब आया जब उन्होंने अभिनेता अशरफ खान की उपस्थिति में मूल रूप से नूरजहां द्वारा गाया गया एक गीत प्रस्तुत किया। इस सफलता से प्रसिद्ध कलाकारों के साथ सहयोग और ऑल इंडिया रेडियो, मुंबई के साथ एक करार हुआ।

पुरुषोत्तम उपाध्याय ने भारतीय विद्या भवन में संगीत कार्यक्रमों के प्रबंधन की भूमिका भी निभाई और संगीत जगत में अपनी स्थिति मजबूत की। पुरुषोत्तम उपाध्याय गुजरात सरकार से गुजरात गौरव पुरस्कार और पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित थे। पुरूषोत्तम उपाध्याय ने अपनी कालजयी रचनाओं और आवाज के माध्यम से ‘हे रंगलो जाम्यो’, जैसे कई गीतों को अमर बना दिया। उन्होंने 20 से अधिक फिल्मों और 30 से अधिक नाटकों के लिए संगीत तैयार किया।

गुजराती गीतों के लिए उनकी रचनाएं भारत की सीमाओं को पार कर दुनिया के हर कोने में रहने वाले गुजरातियों के दिलों में गूंज रही हैं।पुरुषोत्तम उपाध्याय ने लता मंगेशकर, आशा भोसले और मोहम्मद रफी जैसे दिग्गजों के साथ भी गाना गाया था। ऐसे महान गायक और संगीतकार पुरुषोत्तम उपाध्याय ने 90 साल की उम्र में मुंबई में अंतिम सांस ली है लेकिन उनकी गायकी हमेशा के लिए अमर है और उनके जाने से संगीत जगत को एक बड़ी कमी महसूस हुई है।