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मुर्शिदाबाद की आग सुप्रीम कोर्ट के दरबार में ; वक्फ कानून पर टकराव, न्याय की मांग और राजनीति की परतें!

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में 11 और 12 अप्रैल को भड़की हिंसा अब सुप्रीम कोर्ट के दरवाजे पर दस्तक दे चुकी है। वक्फ कानून के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी, कई घायल हुए, और संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया। अब देश की सबसे बड़ी अदालत में इस घटना की न्यायिक समीक्षा की मांग जोर पकड़ रही है।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में एडवोकेट शशांक शेखर झा ने हिंसा की निष्पक्ष और गहराई से जांच के लिए कोर्ट की निगरानी में एक पांच सदस्यीय न्यायिक आयोग बनाने की अपील की है, जिसकी अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज करें। इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एनके सिंह की बेंच कर रही है।

ममता सरकार से मांगी गई स्टेटस रिपोर्ट

याचिका में ममता बनर्जी सरकार को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह इस हिंसा पर विस्तृत स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करे। इसके साथ ही, हेट स्पीच पर कार्रवाई, पीड़ितों को मुआवजा, और हिंसा के जिम्मेदारों के खिलाफ सख्त कदम की गुहार लगाई गई है।

हाईकोर्ट की सख्ती और सुझाव

कलकत्ता हाईकोर्ट में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी की याचिका पर भी सुनवाई हुई, जिसमें उन्होंने राज्य के हिंसा प्रभावित इलाकों में केंद्रीय बलों की तैनाती और विस्थापितों की सुरक्षित घर वापसी की मांग की। कोर्ट ने हिंसा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के लिए एक त्रिसदस्यीय पैनल गठित करने का सुझाव भी दिया है जिसमें राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, पश्चिम बंगाल राज्य मानवाधिकार आयोग और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रतिनिधि शामिल हों।

महिला आयोग का दौरा और रिपोर्ट

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर स्वयं मुर्शिदाबाद पहुंचीं और दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया। आयोग जल्द ही केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट सौंपेगा, जिसकी कॉपियां राज्य प्रशासन को भी भेजी जाएंगी।

AIMPLB का वक्फ बचाव अभियान

वहीं, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने वक्फ कानून के खिलाफ 87 दिनों का विरोध अभियान शुरू किया है, जिसका पहला चरण 11 अप्रैल से चालू हो चुका है और 7 जुलाई तक चलेगा। इसके तहत एक करोड़ हस्ताक्षर जुटाकर प्रधानमंत्री को सौंपे जाएंगे।

सुप्रीम कोर्ट का रुख और सुनवाई का शेड्यूल

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस कानून पर जवाब मांगा है, जिसके लिए 7 दिन की मोहलत दी गई है। उसके बाद याचिकाकर्ता अपने तर्क 5 दिन में दाखिल करेंगे। अगली सुनवाई 5 मई को दोपहर 2 बजे होगी। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि 70 से अधिक याचिकाओं के स्थान पर सिर्फ 5 मुख्य याचिकाएं स्वीकार की जाएंगी, जिन पर ही सुनवाई होगी।

साथ ही, सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि वक्फ घोषित संपत्तियों पर यथास्थिति बनाए रखी जाए जब तक कि केंद्र सरकार का जवाब न आ जाए।

मुर्शिदाबाद की यह घटना सिर्फ एक कानून विरोध नहीं, बल्कि एक सामाजिक और राजनीतिक ज्वालामुखी बनती जा रही है। वक्फ कानून पर देशभर में उठ रही प्रतिक्रियाएं दिखाती हैं कि लोगों में संपत्ति अधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर गंभीर चिंता है।

लेकिन जो चिंताजनक है, वह है कानून के विरोध की आड़ में हिंसा का पनपना। लोकतंत्र में विरोध अधिकार है, लेकिन आगजनी, हत्या और दहशत फैलाना नहीं। इस मामले में निष्पक्ष जांच, पीड़ितों को इंसाफ और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई समय की मांग है।

सुप्रीम कोर्ट का दखल उम्मीद की एक किरण है। यह सिर्फ वक्फ कानून पर नहीं, बल्कि लोकतंत्र में संविधान और नागरिक अधिकारों की सीमा तय करने वाली ऐतिहासिक बहस बन सकती है।