वडोदरा के VUDA हाउसिंग एस्टेट में तीन मंदिरों को निगम अधिकारियों ने बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया, जिससे इलाके में भारी विरोध और आक्रोश फैल गया। इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय निवासियों और नगर निगम कर्मचारियों के बीच झड़पें भी हुईं, जिसके कारण पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
कचरा सफाई के नाम पर मंदिरों का विध्वंस
यह विवाद तब शुरू हुआ, जब नगर निगम को VUDA हाउसिंग एस्टेट के स्थानीय निवासियों से शिकायत मिली थी कि इलाके में कचरे का अंबार लगा हुआ है। निगम अधिकारियों ने कचरा हटाने के लिए यहां टीम भेजी, लेकिन कचरा हटाने के बजाय वे स्थानीय लोगों द्वारा बनाए गए तीन मंदिरों को ही अपने बुलडोजर के नीचे ले आए। इन मंदिरों का निर्माण स्थानीय लोगों ने श्रद्धा भाव से किया था, और कुछ मंदिर तो बाढ़ के दौरान डूबने के बाद चंदा एकत्रित करके फिर से बनाए गए थे।
जब निगम का बुलडोजर इन मंदिरों पर चला, तो स्थानीय लोग गुस्से में आ गए और विरोध प्रदर्शन करने लगे। उन्होंने निगम की इस कार्रवाई को “अन्याय” और “धार्मिक अपमान” करार दिया। जैसे ही बुलडोजर ने मंदिरों को तोड़ा, स्थानीय निवासियों ने सड़कों पर उतरकर विरोध किया और निगम के कर्मचारियों से भिड़ गए।
अधिकारियों का पक्ष
नगर निगम के अधिकारियों ने कहा कि मंदिरों का निर्माण अवैध था, और यही कारण था कि उन्हें तोड़ा गया। अधिकारियों के अनुसार, इन मंदिरों की वजह से इलाके में पार्किंग की समस्या बढ़ रही थी, और भविष्य में निर्माण कार्यों में रुकावट आ सकती थी। साथ ही, कुछ मंदिरों का निर्माण “मार्जिन” वाली भूमि पर किया गया था, जो कि भविष्य में खतरनाक साबित हो सकता था।
स्थानीय निवासियों का विरोध
स्थानीय निवासियों का कहना है कि यह मंदिर उनके विश्वास और समुदाय का हिस्सा हैं। उन्होंने यह भी बताया कि इन मंदिरों का निर्माण बहुत पहले किया गया था और ये इलाके के सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा बन चुके थे। जब बाढ़ के कारण एक मंदिर डूब गया था, तो स्थानीय लोगों ने चंदा एकत्र करके फिर से नया मंदिर बनाने की कोशिश की, लेकिन निगम ने उसकी भी अनुमति नहीं दी और उसे भी तोड़ दिया।
इस मामले में झड़प भी हुई, जब निगम के कर्मचारी और स्थानीय लोग आमने-सामने आए। पुलिस को मामले को संभालने के लिए दो लोगों को गिरफ्तार करना पड़ा। इसके बाद स्थिति को नियंत्रित किया गया, लेकिन इस घटनाक्रम ने वडोदरा के निवासियों में असंतोष और निराशा का माहौल बना दिया।
यह पूरी घटना वडोदरा की स्थानीय प्रशासनिक नीतियों और उनके कार्यशैली पर सवाल खड़े करती है। अगर नगर निगम को अवैध निर्माण की समस्या थी, तो यह उचित होता कि वे पहले स्थानीय निवासियों से संवाद करते और समाधान का रास्ता निकालते। किसी धार्मिक संरचना को तोड़ने से पहले, प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए था कि वे समुदाय की भावनाओं का सम्मान कर रहे हैं और कोई वैकल्पिक समाधान खोजा जा सकता है।
स्थानीय लोगों का विरोध यह दर्शाता है कि प्रशासन को जनता के विश्वास और उनके सांस्कृतिक प्रतीकों का सम्मान करना चाहिए। इसके बजाय, बुलडोजर की कार्रवाई से सिर्फ असंतोष और विरोध ही पैदा हुआ है।इस घटनाक्रम से यह साफ हो जाता है कि किसी भी समस्या का समाधान केवल प्रशासनिक कार्रवाई से नहीं, बल्कि संवाद, समझदारी और सामूहिक प्रयासों से संभव होता है।
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