“मां की ममता का कोई मोल नहीं,
उसके दिल में बस प्यार का ही बोल है।
जो संतान की हर तकलीफ सह ले,
मां का दिल तो सच्चा हीरे का झोल है।”
वडोदरा जिले के रामपुरा गांव से एक मां की ममता और बलिदान की ऐसी कहानी सामने आई है, जो हर किसी को भावुक कर देगी। यहां एक मां ने अपने बेटे को अपनी किडनी देकर न केवल उसे बीमारी से उबारा, बल्कि एक नई जिंदगी भी दी। यह घटना मां की महानता को सार्थक करती है।
किडनी की बीमारी और इलाज का सफर
रामपुरा गांव के रहने वाले 38 वर्षीय अल्पेशभाई पधियार को वर्ष 2020 में कोविड काल के दौरान किडनी की बीमारी हो गई थी। इस बीमारी की शुरुआत थकान, भूख कम लगना और ब्लड प्रेशर की समस्या के रूप में हुई। उन्होंने पादरा की एक निजी अस्पताल में जांच कराई, जहां डॉक्टरों ने उन्हें बताया कि उनकी किडनी खराब हो चुकी है और उन्हें तुरंत डायलिसिस और फिर किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत है।
अल्पेशभाई ने बताया, “जब मुझे डॉक्टरों ने ट्रांसप्लांट के लिए कहा, तो मुझे डर लगने लगा। मुझे लगा कि अब मेरा क्या होगा। मेरे माता-पिता ने उस समय मुझे ढांढस बंधाया और कहा कि चिंता मत करो, हम तुम्हारे लिए अपनी किडनी देंगे।”
मां ने दिया नई जिंदगी का तोहफा
अल्पेशभाई की मां, सविताबेन पधियार ने बिना किसी हिचकिचाहट के अपनी किडनी देने का फैसला किया। उन्होंने कहा, “जब हमें पता चला कि हमारे बेटे की किडनी खराब हो गई है, तो मेरे पति ने पहले अपनी किडनी देने की बात कही। लेकिन मैंने कहा कि मैं अपनी किडनी देकर अपने बेटे को नई जिंदगी दूंगी।”
आयुष्मान कार्ड ने दी सहारा
अल्पेशभाई ने बताया कि ट्रांसप्लांट और इलाज का खर्च 11 लाख रुपये से अधिक बताया गया था। यह खर्च उनके परिवार के लिए उठाना संभव नहीं था। ऐसे में आयुष्मान कार्ड उनके लिए वरदान साबित हुआ। इस कार्ड की मदद से किडनी ट्रांसप्लांट से लेकर दवाओं तक, सभी चिकित्सा सेवाएं मुफ्त में मिलीं।
मां की ममता का उदाहरण
सविताबेन ने अपने बेटे को जीवनदान देकर एक बार फिर साबित कर दिया कि मां की ममता से बढ़कर कुछ नहीं। उन्होंने कहा, “मुझे गर्व है कि मैं अपने बेटे की जान बचा सकी। आयुष्मान कार्ड के बिना यह संभव नहीं हो पाता। सरकार की इस योजना ने हमें यह तोहफा दिया है।”
यह कहानी न केवल मां-बेटे के रिश्ते की गहराई को दिखाती है, बल्कि सरकारी योजनाओं की उपयोगिता को भी उजागर करती है। यह प्रेरणादायक घटना समाज के हर व्यक्ति को एक सीख देती है।
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