ईद की रौनक बढ़ाने और गरीब मुस्लिम परिवारों की खुशियों में शामिल होने के लिए बीजेपी ने एक अनूठी पहल की है। ‘सौग़ात-ए-मोदी’ नाम से 32 लाख जरूरतमंद मुस्लिम परिवारों को किट्स बांटी जाएंगी, जिसमें ईद और इफ्तार के लिए आवश्यक वस्तुएं होंगी। यह योजना बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ‘अलाप संख्यक मोर्चा’ के नेतृत्व में पूरे देश में चलाई जा रही है।
ईद पर मोदी सरकार की ‘सौग़ात’!
बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी के अनुसार, 31 मार्च को ईद के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की यह सौग़ात गरीब मुस्लिम परिवारों तक पहुंचाई जाएगी। इसके लिए 32,000 पार्टी कार्यकर्ता आगे आएंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी जरूरतमंद त्योहार की खुशियों से वंचित न रहे।
‘सबका साथ, सबका विकास’ की दिशा में एक और कदम?
बीजेपी का कहना है कि यह पहल सिर्फ मुस्लिम समुदाय तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदायों के धार्मिक त्योहारों पर भी इसी तरह का सहयोग दिया जाएगा। इसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति की ‘गंगा-जमुनी तहज़ीब’ को बढ़ावा देना और सामाजिक समरसता को मजबूत करना है।
राजनीति या वाकई समरसता की पहल?
बीजेपी की इस पहल को जहां कुछ लोग सामाजिक सद्भाव बढ़ाने का प्रयास मान रहे हैं, वहीं कुछ इसे चुनावी राजनीति का हिस्सा बता रहे हैं। मुस्लिम समुदाय के प्रति बीजेपी की नीतियों को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं, ऐसे में ‘सौग़ात-ए-मोदी’ को भी कई लोग एक राजनीतिक रणनीति के रूप में देख रहे हैं।
अगर सच में यह पहल राजनीतिक फायदे से ज्यादा इंसानियत की भावना से की जा रही है, तो यह एक सराहनीय कदम है। किसी भी समुदाय को मुख्यधारा में लाने के लिए सिर्फ चुनावी वादों से नहीं, बल्कि ठोस प्रयासों की जरूरत होती है। अगर सरकार वास्तव में ‘सबका साथ, सबका विकास’ चाहती है, तो इसे मुस्लिम समाज के विकास, शिक्षा, रोजगार और सुरक्षा जैसे मुद्दों पर भी गंभीरता से काम करना होगा। सिर्फ त्योहारों पर तोहफे देना पर्याप्त नहीं, बल्कि उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में सुधार लाना असली सौग़ात होगी!
आपका क्या कहना है?
क्या यह पहल ईमानदारी से मुस्लिम समुदाय के उत्थान के लिए की जा रही है, या फिर यह सिर्फ 2024 लोकसभा चुनाव से पहले का एक रणनीतिक दांव है? हमें आपके विचारों का इंतजार रहेगा!

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