28 अक्टूबर को वडोदरा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और स्पेन के प्रधानमंत्री पेड्रो सांचेज़ का भव्य रोड शो होने वाला है। इस अवसर पर दोनों नेताओं के बीच महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एक समझौता ज्ञापन (MOU) पर हस्ताक्षर होने की उम्मीद है।इस कार्यक्रम के लिए वडोदरा को सजाया जा रहा है, जिसमें गंदे दीवारों को पेंट करने से लेकर शहर की पूरी व्यवस्था को बेहतर बनाने तक के काम शामिल हैं। लेकिन इस कार्यक्रम के लिए शहर को सजाने की तैयारी पर कई सवाल उठ रहे हैं।
हाल ही में वडोदरा में आई बाढ़ ने लोगों को बड़ी मुश्किल में डाला था, लेकिन तब सरकार ने राहत के लिए एक रुपये तक नहीं दिए। बाढ़ पीड़ितों के लिए 5,000 रुपये की मदद का जो प्रस्ताव रखा गया था, वह भी वास्तविकता में लागू नहीं हुआ। अब, जब प्रधानमंत्री और विदेशी मंत्री यहाँ आ रहे हैं, तो अचानक शहर के सौंदर्यीकरण में भारी खर्च किया जा रहा है। क्या यह सिर्फ एक दिखावा है?
यहां एक गंभीर सवाल उठता है: अगर सरकार के पास इतना पैसा है, तो यह जनता की सेवा के लिए क्यों नहीं खर्च किया जा रहा? क्या हमारा सरकारी तंत्र सही तरीके से काम नहीं कर रहा है? क्या लोगों के टैक्स का पैसा सिर्फ बड़े आयोजनों के लिए खर्च किया जा रहा है, जबकि जरूरत के समय सरकार पीछे हट जाती है?
इस विषय पर विचार करते हुए यह स्पष्ट होता है कि वडोदरा के विकास के लिए आवश्यक संसाधनों का सही तरीके से उपयोग होना चाहिए। जब संकट आता है, तो जनता को मदद की उम्मीद होती है, लेकिन क्या हमारी सरकारें और प्रशासन सही समय पर सही कदम उठा रहे हैं?
यह सिर्फ वडोदरा का मुद्दा नहीं है, बल्कि पूरे देश की एक गहरी समस्या को दर्शाता है। अब वक्त आ गया है कि हम अपनी आवाज़ उठाएं और सरकार से जवाब मांगें। यह देश हमारा है और हर नागरिक का अधिकार है कि उसकी सुरक्षा और भलाई के लिए सरकार जिम्मेदार हो।
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