14 April 2022
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में कानून बनाने का रिकॉर्ड बना दिया है। 17वीं लोकसभा में 8 सत्रों में सरकार ने 2019 से अब तक 198 दिन में 149 बिल पारित किए हैं। औसतन 1.3 दिन में नया कानून बना दिया है। ये गति 16वीं लोकसभा में मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल से दोगुना है। पिछली लोकसभा 331 बैठकों में 133 बिल यानी औसतन 2.5 दिन में एक बिल पारित हुआ था, जो अब तक किसी भी लोकसभा में बिल पारित करने की सबसे सुस्त गति थी।
5वीं लोकसभा में 613 दिनों में 482 बिल पारित
सबसे अधिक बिल पास करने का श्रेय इंदिरा गांधी सरकार को है, जिसने 5वीं लोकसभा में 613 दिनों में 482 बिल पारित किए। तब 20 संविधान संशोधन भी किए गए। इसके बाद दूसरा नंबर 333 बिल (485 बैठकों में) राजीव गांधी सरकार ने 8वीं लोकसभा में पास किए। इंदिरा सरकार ने अपनी दूसरी पारी में 7वीं लोकसभा में भी 464 दिनों 329 बिल पास किए।
पहली और दूसरी लोकसभा में नेहरू सरकार में 1244 बैठकों में आजाद देश के पहले 638 बिल पारित किए, जिनमें से 204 फाइनेंस बिल थे। लोकसभा में पारित होने वाले सबसे अधिक फाइनेंस बिल होते हैं जैसे सालाना बजट का बिल, एप्रोप्रिएशन बिल जिसके जरिए किसी कंसोलिडेटेड फंड से सरकार को धन निकालने का अधिकार मिलता है।
लोकसभा के रिकॉर्ड के मुताबिक, इतिहास में अटल बिहारी सरकार में 13वीं लोकसभा में सबसे तेज गति से बिल पारित हुए थे। तब 356 बैठकों में 296 बिल पारित हुए थे। यानी औसतन प्रति 1.2 दिन में एक बिल पास हुआ। पारित बिलों में 14 संविधान संशोधन बिल थे। 12वीं लोकसभा वाली अटल सरकार के नाम सबसे कम बिल पारित करने का रिकॉर्ड है, तब केवल 88 बैठक हो सकीं, जिसमें महज 56 बिल पास हुए, उनमें भी 29 फाइनेंस बिल थे।
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