संचार (Communication) एक मौलिक व अनिवार्य प्रक्रिया है। मनुष्य सहित अन्य जीव-जन्तु, पशु पक्षी भी आपस में संचार करते हैं। संचार की प्रक्रिया को समझाने के लिए अनेकों संचार शास्त्रियों ने अपने-अपने माॅडल अथवा सिद्धान्त दिए। संचार के प्रमुख तत्वों में प्रेषक, संदेश, माध्यम, प्राप्तकर्ता या गृहिता, फीडबैक और शोर को शामिल किया गया है। आज इस लेख के माध्यम से संचार के एक तत्व माध्यम की बात करते हैं।
संचार की प्रक्रिया में माध्यम का महत्व बताते हुए महान संचारशास्त्री मार्शल मैकलुहान (Marshall McLuhan) ने एक सिद्धान्त दिया था। उन्होंने कहा कि ‘मीडियम इज द मैसेज’ (The medium is the message) अर्थात माध्यम ही संदेश है। मैकलुहान का मानना था कि संचार की प्रक्रिया में माध्यम सबसे महत्वपूर्ण तत्व है। यदि माध्यम प्रभावशाली है और वह श्रोताओं या दर्शकों को अपनी तरफ आकर्षित कर ले तो ऐसे में उस माध्यम से प्रकाशित या प्रसारित संदेशों से लोग प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं।
मानव सभ्यता के विकास के साथ-साथ संचार के माध्यमों का भी विकास हुआ। वर्तमान युग डिजिटल मीडिया (Digital media) का युग है। सूचना और संचार प्रौद्योगिकी का युग है। संचार प्रौद्योगिकी के समय में सभी दिशाओं में परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। ऐसे में मीडिया में भी तमाम परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं। मीडिया ने परंपरागत मीडिया और प्रिंट मीडिया से शुरू होकर वर्तमान में डिजिटल मीडिया तक का सफर तय किया है।
इस सफर का अध्ययन करने पर हम पाते हैं कि जिस समय में जिस प्रकार के सूचना एवं संचार के माध्यम थे, मीडिया ने उन माध्यमों को अपनाया है। भारतीय समाज में श्रुति की परंपरा रही है। जब प्रिंटिंग प्रेस का आविष्कार हुआ तो इसका उपयोग समाचार-पत्र, पत्रिकाओं और पुस्तकों के प्रकाशन में शुरू किया गया। प्रिंट मीडिया का एक समृद्ध इतिहास है। देश को अंग्रेजों के शासन से मुक्ति दिलाने में प्रिंट मीडिया का योगदान अविस्मरणीय है। अतुल्य है। आज लाखों की संख्या में समाचार-पत्र और पत्रिकाओं का प्रकाशन किया जा रहा है। लाखों लोग इससे पत्रकार, संपादक, प्रकाशक, वितरक इत्यादि रूपों से जुड़े हैं।
रेडियो तरंगों के आविष्कार के बाद रेडियो संचार या रेडियो पत्रकारिता (Broadcast journalism) की शुरूआत हुई। रेडियो प्रसारण ने अपनी यात्रा में नये मुकाम हासिल किए हैं। रेडियो क्लबों से शुरू होकर काॅमर्शियल रेडियो तक का सफर आसान नहीं रहा है। टेलीविजन पत्रकारिता का दौर शुरू हुआ। आकाशवाणी के बैनर के तले शुरू होकर यह यात्रा स्वतंत्र रूप से एक सशक्त, लोकप्रिय माध्यम बनने तक का है।
जब दृश्य-श्रव्य माध्यम से संदेशों को भेजा जाना संभव हुआ तक टेलीविजन (Television) का आविष्कार हुआ। इस तरह भूमण्डलीकरण के बाद प्राइवेट टेलीविजन प्रसारकों ने टेलीविजन प्रसारण के क्षेत्र में क्रांति ला दी। वर्तमान में विभिन्न टेलीविजन धारावाहिकों, केबीसी, दस का दम, लिटिल चैंप, इंडियन आइडल इत्यादि रियलिटी शो ने टेलीविजन को बहुत लोकप्रिय बना दिया है। पत्रकारिता के इतिहास में पहली बार लोगों ने लाइव रिपोर्टिंग के माध्यम से दृश्य-श्रव्य रूप से घटनाओं को देखा।
इसी प्रकार जब कैमरे का आविष्कार हुआ तो फोटो पत्रकारिता की शुरूआत हुई। बिना फोटो के समाचार अधूरा रहता है। फोटोग्राफ समाचार की सत्यता का भी प्रमाण देता है। स्वतंत्र फोटोग्राफर के रूप में भी कॅरियर की संभावनाएं हैं।
इंटरनेट के आविष्कार से पूरे विश्व में सूचना क्रांति आ गई। सूचनाओं को त्वरित गति से पहुंचाना संभव हो गया। मीडिया ने भी इस माध्यम को अपनाया और इस तरह इंटरनेट पत्रकारिता या ऑनलाइन पत्रकारिता या साइबर जर्नलिज्म या डिजिटल मीडिया का प्रादुर्भाव हुआ। इसमें वेबपोर्टल, वेबसाइट, ब्लाॅग, यूट्यूब चैनल, व्हाट्सअप, सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफाॅर्म का उपयोग किया जाता है। संचार के आधुनिक माध्यमों ने भारतीय समाज को प्रभावित किया है। सबसे अधिक प्रभाव बच्चों और युवाओं पर देखा जा रहा है।
Dr. Guru Saran Lal, Associate Professor & Head, Department of Journalism and Mass Communication, Bharti Vishwavidyalaya, Durg (C.G.), has a very bright academic profile. He has doctoral degree in Journalism and Mass Communication from Department of Mass Communication and Journalism, Babasaheb Bhimrao Ambedkar University (A Central University), Lucknow. M.Phil from Devi Ahilya Vishwavidyalaya, Indore (M.P.). Qualified UGC-NET examination.
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