आप जब भी कहीं पर बैठते हैं धीरे से अपनी पॉकेट में हाथ डालकर मोबाइल निकलते हैं उसे ऑन करते हैं मोबाइल पर देखते हैं और धीरे-धीरे देखते ही चले जाते हैं। ये एक अंधे कुंए की तरह है की ऐसा करते-करते कब घंटों बीत गए पता हीं नहीं चलता। कहते हैं कि स्मार्ट फोन ऐसी टेक्नोलॉजी के जिसमें आप एक निर्देश देते हैं और जवाब आपके सामने हाजिर हो जाता है। यानी आप मालिक और आपका फोन गुलाम जो एक ऑर्डर देते ही काम पर लग जाता है। लेकिन, आज ये हालात उलटे हो गए हैं। मोबाइल हमारा गुलाब बनने के बजाए अब उसने हमें ही अपना गुलाम बना लिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार 2021 में भारत के लोगों ने एक साल में तीन महीने मोबाइल की स्क्रीन देखते हुए ही बरर्बाद कर दिए। भारत के लोगों के अपने फोन और इंटरनेट का इतना नशा है कि वो 24 घंटों में लगभग 5 घंटे अपना फोन देखते हुए गुजार रहे हैं। ये आंकड़ा 2020 में 4 घंटे 30 मिनट था और 2019 में ये 3 घंटे 45 मिनट था। मतलब धीरे धीरे हमारे देश के लोग मोबाइल स्क्रीन पर लॉक होते जा रहे हैं। और आप इसे नया दौर की मोबाइल फोन की गुलामी वाला दौर भी कह सकते हैं।
इन आंकड़ों के हिसाब यदि देश का युवा दिन में पांच घंटे अपने फोन की स्क्रीन देखते हुए बिताता है तो आने वाले 20 सालों में अपने चार साल दो महीने सिर्फ मोबाइल फोन चलाने में बर्बाद कर देगा। और यदि औसतन वो 8 घंटे की नींद लेता है तो 6 साल 7 महीने का समय सोने में गुजार देगा। इसका मतलब शख्स अगले 20 सालों में अपने लगभग 11 साल मोबाइल फोन चलाने और सोने में नष्ट कर देगा। और बाकी बचे हुए 9 सालों में उनके कंधे पर अपने देश को सुपर पावर बनाने की जिम्मेदारी रहेगी। हालांकि इस बीच सवाल ये है की इतना ज्यादा फोन चलाने के बाद आने वाले वक्त में उनके पास देश को आगे ले जाने के लिए वो चिंगारी रहेगी या नहीं वो नहीं कहा जा सकता।
फोन स्क्रीन टाइम के मामले में दुनिया भर में भारत को पांचवा स्थान हासिल है। स्क्रीन टाइम मतलब कि मोबाइल, लेपटॉप, टेबलेट या किसी भी डिवाईज को देखने में नष्ट हुआ वक्त। इस लिस्ट में पूरी दुनिया में ब्राजील पहले नंबर पर है और इंडोनेशिया, साउथ कोरिया दूसरे, तीसरे नंबर पर स्थित है। वहीं मेक्सिकों चौथे पायदान पर विराजमान है।
ऐसे ही मोबाइल फोन एप डाउनलोड करने के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है। इसमें पहला स्थान चीन जैसे घनी आबादी वाला देश का है।
इन आंकड़ों में सबसे ज्यादा मेजोर्टी बच्चों की है। जहां एक ओर भारत के बच्चे गेमिंग के कुंए में धसते जा रहे हैं वहीं चीन ने इसे लेकर कड़े कानून बना दिए है। चीन में कोई भी बच्चा हप्ते में केवल 3 घंटे ही गेम खेल सकता है। चीन को बच्चों के लिए ये कानून देश के विकास में अहम भूमिका निभा रहा है।
कहते हैं आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। ऐसी ही आवश्यकता को देखते हुए मोबाइफोन और इंटरनेट का आविष्कार किया गया था। लेकिन, ये कभी किसी ने नहीं सोचा होगा कि आज परिस्थिती इतनी गंभीर हो जाएगी।
हालांकि इस मोबाइल फोन और इंटरनेट के आने से आज हमारे हाथ में एक ऐसा हथियार है जिसकी मदद से हम घर बैठे-बैठे दुनिया के किसी भी कोने की खबरे देख सकते हैं। मीलों दूर बैठ शख्स से एक बटन
दबाकर बात कर सकते हैं। ये डिवाइज जितना पॉवरफुल है उतना ही खतरनाक भी है। इसमें एक छोटी गलती भी आपकी जान को भारी पड़ सकती है। और यदि बात करते है फोन यूज करने की तो इससे आपके मेंटल हेल्थ के साथ फीजिकल हेल्थ पर भी बुरा असर पड़ता है।
दिन में ज्यादा वक्त मोबाइल फोन का उपयोग करने से चिंता और अवसाद, नींद में खलल, मोबाइल लत, सामाजिक अलगाव पैदा हो सकता है। वहीं शारीरीक रूप से देखा जाए को आंखों पर दबाव, शारीरिक निष्क्रियता, गर्दन और पीठ में दर्द, अनिद्रा जैसी समस्याओं के साथ गंभीर बीमारी भी आपको घेर सकती है।
वहीं आज मोबाइल फोन की वजह से हम अपनों को भी कम वक्त दे पाते हैं जिससे रिश्तों में दूरियां आ गई है। मोबाइल की वजह से पति पत्नी में दूसरी मां-बाप से बच्चों में दूरी आ गई है। हम यदि किसी का बर्थडे हो तो उसे मैसेज कर देते हैं, लेकिन उस दोस्त से जाकर हमारे पास मिलने का वक्त नहीं है। इससे ये दूरियां बढ़ जाती है। आज के युग में मोबाइल फोन सबकी जरूरत बन गया है। बुढ़ों के बुढापे के सहारे से लेकर बच्चों को स्कूल में जरूरी गैजेट हो गया है।
कोविड के बाद से स्कूलों में बच्चों के पास स्मार्ट फोन होना जरूरी कर दिया है। होमवर्क, मीटिंग, एग्जाम, सिलेबस सब मोबाइल फोन से बच्चे हैंडल कर लेते हैं।
आज के वक्त में मोबाइल हमारी एक आदत बन गया है। मानती हूं कि इससे दूरी बनाना हमारे लिए बहुत ही मश्किल है, लेकिन कोई काम नामुमकिन नहीं होता। यदि ठान लिया जाए तो इंसान कुछ भी कर सकता है। तो मोबाइल से दूरी बनाना मुश्किल नहीं है। यदि आपके घर कोई बच्चा है और वो पूरे दिन आपको मोबाइल फोन चलाते देखता है तो ये बुरी आदत उसे भी लग जाएगी। तो कोशिश करें की आपके घर पर यदि कोई बच्चा हो तो उसके सामने अपना फोन न चलाए बल्कि अपना कीमकी वक्त उसके साथ खेलने और बात करने में बिताए इससे उसे आपके होने का एहसास दिलाएगा।
मोबाइल के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए यहां कुछ सुझाव भी दिए गए हैं-
- स्क्रीन टाइम कम करें: प्रतिदिन मोबाइल उपयोग के लिए एक निश्चित समय निर्धारित करें और उसका पालन करें।
- सोने से पहले मोबाइल का इस्तेमाल बंद करें: सोने से कम से कम एक घंटे पहले मोबाइल स्क्रीन से दूर रहें।
- ब्लू लाइट फ़िल्टर का इस्तेमाल करें: अपने फोन पर ब्लू लाइट फ़िल्टर चालू करें, जो नीली रोशनी को कम करता है और नींद को बेहतर बनाने में मदद करता है।
- नियमित व्यायाम करें: शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करें।
- सामाजिक गतिविधियों में शामिल हों: दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताएं, सामाजिक गतिविधियों में शामिल हों और अपनी रुचि के अनुसार समूहों में शामिल हों।
- स्वस्थ आहार लें: पौष्टिक और संतुलित आहार खाएं।
- जरूरत पड़ने पर मदद लें: यदि आपको लगता है कि मोबाइल का उपयोग आपके मानसिक या शारीरिक स्वास्थ्य को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहा है, तो डॉक्टर या मनोवैज्ञानिक से सलाह लें।

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