मोब लिंचिंग और नाबालिग पर बलात्कार मामले मृत्यु दण्ड की सजा का प्रावधान लाने जैसे मुद्दो पर गृहमंत्री अमित शाह ने संसद के अंतिम दिन बिल पेश किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन लोकसभा में 3 नए बिल पेश किए , जिसमें भारतीय न्याय संहिता 2023 ,भारतीय नागरिक संरक्षण संहिता 2023, और भारतीय सुबूत बिल 2023 समाहित है। यह बिल भारतीय दंड संहिता (IPC) ,कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर (CrPC) ब्रिटिश युग के एविडेंस एक्ट का स्थान लेंगे।
इन बिलों में मोब लिंचिग कर नाबालिग से बलात्कार के मामले में मृत्युदंड का प्रावधान सूचित किया गया है। इसी के साथ राजद्रोह संबंधित मामलों में तब्दीलियां की गई है। इन नए बिलों का उद्देश्य सही न्याय है। नए बिल में देशद्रोह की व्यवस्था को पूर्ण रूप से दूर कर IPC में स्थान दिया जाएगा। दाऊद इब्राहिम जैसे देश से फरार अपराधियों के खीलाफ उनकी गैरहाजरी में भी केस चलाने का प्रावधान होगा। जिन मामलों में 7 साल या उससे अधिक की सजा की गई होगी, ऐसे मामलों में एफएसएल टीम का स्थल की मुलाकात लेना आवश्यक होगा।
अलगतावादी प्रवृतियां, सशस्त्र बलवा, जैसे देश की सार्वभौमत्त्व एकता को नुकसान पहुंचाने वाले अपराधियों को सूचीबद्ध किया जाएगा ।महिलाओं और बच्चों के साथ होते अपराधों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा ।आतंकवादी प्रवृत्तियां और संगठित अपराधों में कड़ी सजा का प्रावधान होगा ।गलत पहचान बनाकर शारीरिक संबंध बांधने वाला व्यक्ति भी अपराध की श्रेणी में होगा।
यहां यह उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में राजद्रोह कानून को सस्पेंड किया था, तब कानून पंच ने कहा था कि इसे आईपीसी में संजोया जाएगा।
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