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Milkipur by-election: 64 हजार वोटों से आगे BJP, पासी वोटरों की लड़ाई बनी नाक का सवाल

Milkipur by-election:  उत्तर प्रदेश के मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। बारहवें राउंड की मतगणना तक बीजेपी के उम्मीदवार चंद्रभानु पासवान 64 हजार वोटों से आगे चल रहे हैं। इस सीट से कुल 10 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे, लेकिन मुख्य मुकाबला बीजेपी के चंद्रभानु पासवान और समाजवादी पार्टी (सपा) के अजीत प्रसाद के बीच रहा। अजीत प्रसाद पूर्व विधायक अवधेश प्रसाद के बेटे हैं। मिल्कीपुर सुरक्षित विधानसभा सीट प्रदेश की सत्ताधारी बीजेपी और प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गई थी।

इस चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने जमकर प्रचार किया, जिससे यह उपचुनाव देशभर में चर्चा का विषय बन गया। प्रचार के दौरान बीजेपी और सपा के बीच सीधा टकराव देखने को मिला। दलीत युवती के साथ दुष्कर्म और हत्या के मामले ने इस चुनाव को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया था। दोनों दलों के राज्यस्तरीय और वरिष्ठ नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर जोरदार प्रचार किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिल्कीपुर को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया था। उन्होंने अक्टूबर से अब तक आठ बार इस क्षेत्र का दौरा किया और कई सरकारी कार्यक्रमों में भाग लेकर जनसभाएं कीं।

पासी समुदाय के वोटों की अहमियत

इस चुनाव में पासी समुदाय के वोट निर्णायक साबित हो रहे हैं। बीजेपी ने पासी समुदाय से आने वाले चंद्रभानु पासवान को मैदान में उतारा, जबकि सपा के उम्मीदवार अजीत प्रसाद को अपने पिता अवधेश प्रसाद की लोकप्रियता का फायदा मिल रहा है। अवधेश प्रसाद भी पासी समुदाय के नेता हैं और उन्हें पिछले दो चुनावों में इस समुदाय का अच्छा समर्थन मिला था।

दलीत युवती की हत्या बना चुनावी मुद्दा

इस उपचुनाव के दौरान एक दलीत युवती की हत्या ने माहौल को गर्मा दिया था। सपा ने आरोप लगाया कि पुलिस ने पीड़ित परिवार की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई नहीं की, जिससे दलीत समुदाय में नाराजगी फैल गई। इस मुद्दे पर सपा ने व्यापक रूप से प्रचार किया और अवधेश प्रसाद का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वे प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भावुक होकर रो पड़े।

जातिगत समीकरणों की अहम भूमिका

मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र में लगभग 3.60 लाख मतदाता हैं, जिनमें से 1.25 लाख दलीत मतदाता हैं। इनमें से 65 से 70 हजार पासी समुदाय से आते हैं। इसके अलावा, 60-65 हजार ब्राह्मण और 50-55 हजार यादव मतदाता हैं। चौधरी, मौर्य, विश्वकर्मा और चौहान जैसे ओबीसी समुदाय के लगभग 30 हजार मतदाता हैं। वहीं मुस्लिम और ठाकुर मतदाताओं की संख्या क्रमशः 30 हजार और 18 हजार है।

मिल्कीपुर विधानसभा सीट फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। राम मंदिर निर्माण के बाद जब लोकसभा चुनाव में बीजेपी को इस क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा था, तब यह पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया था। सपा के उम्मीदवार अवधेश प्रसाद ने तब जीत दर्ज की थी।

बीजेपी की व्यापक रणनीति

बीजेपी ने इस चुनाव के लिए व्यापक रणनीति बनाई थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अलावा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भी चंद्रभानु पासवान के लिए प्रचार किया। पार्टी ने 9 मंत्रियों और 40 विधायकों को प्रचार अभियान में लगाया। इन नेताओं ने नवंबर से ही क्षेत्र में काम करना शुरू कर दिया था।

मिल्कीपुर उपचुनाव के नतीजे बीजेपी और सपा दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि पासी समुदाय का झुकाव किस ओर रहता है और दलीत युवती की हत्या का मुद्दा चुनाव परिणाम को कितना प्रभावित करता है।