27 अप्रैल 2021
डॉक्टर, वैज्ञानिकों का दावा है कि कोरोना चाहे कितने ही स्ट्रेन बदल ले, कितना ही म्यूटेंट बदले, हर बार कोरोना वायरस को हराने में मिथिलीन ब्ल्यू कारगर सिद्ध हुआ है।
मिथिलिन ब्ल्यू जैसा नाम है , ऐसा ही उसका रंग भी है। यह नीले रंग का एक ऐसा दुनिया का पहला लोकप्रिय ड्रग है, जिससे मलेरिया के मरीजों को ठीक किया गया है ।भावनगर के डॉक्टर जगदीप काकड़िया के अनुसार मिथिलीन ब्लू में डुबोकर रखे गए कोरोना मरीजों के सैंपल नेगेटिव आए हैं।
आज जबकि भारत विश्व का कोरोना महामारी से लड़ता सबसे अग्रिम देश बन गया है, और इस महामारी का कोई भी कारगर इलाज अब तक हाथ नहीं लगा है , ऐसे में मिथिलीन ब्लू वैकल्पिक इलाज के रूप में कारगर होने का दावा किया गया है ।भावनगर के अग्रणी चेस्ट फिजिशियन डॉक्टर दीपक गोलवालकर भावनगर ही नहीं वरन समग्र सौराष्ट्र मे मिथिलिन् ब्लू से कोरोना संक्रमण का इलाज कर उन्हें ठीक कर रहे हैं। डॉक्टर जगदीप काकड़िया भी कोविड-19 को मात देने में मिथिलीन ब्लू को समर्थन देते हैं।
मिथिलिन ब्ल्यू एक जानामाना ड्रग है ,जिसका मूल नाम मिथाईलथियोनिनियम क्लोराइड है। यह लेबोरेटरी में बना एक सिंथेटिक ड्रग है,जिसका तकरीबन 100 सालों से उपयोग हो रहा है। यह कार्बन संयोजन से लेबोरेटरी में इजाद की गई दवा है। क्लोरोक्वीन से भी पुरानी मिथिलिन दवा मलेरिया के लिए 1950 से अक्सीर मानी गई है ।इसने लाखों मेलेरिया के मरीजों की जान बचाई थी।
भावनगर के पल्मनोलॉजिस्ट डॉक्टर दीपक गोलवलकर पिछले 40 सालों से फेफड़ों की बीमारियों और संक्रमण का इलाज कर रहे हैं। कोरोना के लिए इसके सफल प्रयोग करने वाले व प्रारंभिक डॉक्टर्स में से एक हैं। अब तक मिथिलिन ब्लू के प्रयोग से वे करीब 3000 कोरोना मरीजों को ठीक कर चुके हैं। वे और उनकी टीम मरीजों तक यह दवा नि:शुल्क पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं।
कई विश्व स्तरीय संशोधनों के साथ जुड़े डॉक्टर जयदीप काकड़िया कहते हैं कि,” रेमडेसीविर जैसी दवाएं वायरस के डीएनए या प्रोटीन में बदलाव लाकर उसे कमजोर कर देती हैं। ऐसे में वायरस स्ट्रेन बदलकर पावरफुल हो जाता है, और दवा इस पर कोई असर नहीं करती, जबकि मिथिलीन ब्लू में निहित एक्सीडेजिंग एलिमेंट वायरस चाहे कितने भी स्ट्रेन या म्यूटेंट बदलकर नए रूप में आए, उसे खत्म कर देता है ।यह संक्रमित के ऊपर तो कारगर है ही, पर संक्रमण रोकने में भी उपयोगी है। डॉक्टर काकड़िया के अनुसार रोज सुबह 5 ml मिथिलीन पीने और रात को काम से घर आने पर इसकी कुछ बूंदें नाक में डालने पर संक्रमण से बचा जा सकता है। यह दोनों डॉक्टर नियमित इसका सेवन करते हैं ,और बिना मास्क के ही सैकड़ों मरीजों का इलाज भी करते हैं। वे रोज सैकड़ों मरीजों के संसर्ग में आने के बावजूद भी सुरक्षित हैं। इतना ही नहीं उनका स्टाफ, लैबोरेट्री, एक्स रे क्लिनिक स्टाफ भी पूर्णतया तंदुरुस्त है। कोरोना के मरीज पर इसका इन्होंने प्रयोग भी किया है ।कोरोना मरीज की नाक के दोनो छेदों से स्वेब लिए गए। एक स्वैब मिथिलिन ब्ल्यू में डुबोकर रखा गया,और दूसरे का तुरंत RT PCR टेस्ट किया गया।मिथिलिन ब्ल्यू वाले स्वेब की रिपोर्ट नेगेटिव और दूसरे की रिपोर्ट पॉजिटिव आई।
मुंह और नाक से शरीर में यह वायरस घुसता है, ऐसे में रोज सुबह जीभ के नीचे मिथिलिन ब्ल्यू रखकर निगल जाने पर खून में मिलकर यह वायरस को खत्म कर देता है।तंदुरुस्त इंसान भी रोजाना इसके प्रयोग से खुद को संक्रमित होने से बचा सकता है।
इतनी कारगर दवा होने के बावजूद भी केंद्र सरकार के आरोग्य विभाग और ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज ने मिथिलिन ब्लू को कोविड-19 के आईसीयू प्रोटोकॉल ड्रग्स के रूप में मान्यता प्रदान नहीं की है ।फिर भी डॉक्टर यदि मिथिलिन ब्लू प्रिस्क्राईब करते हैं, तो यह अवैध या अयोग्य नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने भी इस ड्रग को नुकसानदेह न बताते हुए इसको स्वीकार किया है।
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