हिंदी की प्रसिद्ध साहित्यकार पद्म श्री डॉ. मालती जोशी का निधन कथा साहित्य जगत के लिए बहुत बड़ी खोट है।
भारतीय हिंदी साहित्य जगत में अपनी कविताओं और कहानियों के द्वारा परिवार,समाज,संबंधों के मूल्यों की ओर अंगुली निर्देश करती रहने वाली मालती जोशी जी अपने आखरी दिनों तक लिखती रहीं। 90 वर्ष की उम्र में उनके बेटे, साहित्यकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला के सचिव सच्चिदानंद जोशी के घर दिल्ली में उन्होंने कल बुधवार के रोज़ आखरी सांस ली।
मालती जोशी ने अपने जीवनकाल में हिंदी एवं मराठी भाषा में 60 से अधिक पुस्तकें लिखी।उनकी कहानियों में उपयुक्त शब्द पाठक के दिल तक पंहुचते है।उनकी कहानी कहने की शैली हरेक को ओतप्रोत कर देती है। उनकी कहानियो को लेकर कई विश्वविद्यालयों में शोध भी हुए।वर्ष 2018 में साहित्य और शिक्षा क्षेत्र में उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों पद्मश्री इनायत किया गया।
इंदौर के दिघे परिवार में उनका जन्म हुआ।इंदौर उनके दिल के करीब था।इंदौर में उन्हें सुकून मिलता था। उनकी कविताओं के कारण उन्हें मालवा की मीरा कहा जाता था।
पंचमहाभूत में विलीन होने के बाद भी वे अपने साहित्य,कहानियों के द्वारा साहित्य प्रेमियों के दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगी।

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