CATEGORIES

January 2025
M T W T F S S
 12345
6789101112
13141516171819
20212223242526
2728293031  
Wednesday, January 22   12:54:26

MahaShivratri 2024: जानें क्या है पूजा की विधियां और साधना का समय

महाशिवरात्रि हिन्दुओं का बहुत बड़ा त्यौहार है। इसके आध्यात्मिक से लेके वैज्ञानिक सारे महत्व है। शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है उसकी भी कई सारी कहानियां है। हर देश में अलग-अलग तरीके से इस त्यौहार को मनाया जाता है। हालाँकि, इसकी पूजा विधियां और साधना के तरीकों में कोई अंतर नहीं है।

इस ब्लॉक में आज हम महाशिवरात्रि की पूजा-विधियों के बारे में और रात को करे जाने वाली साधना के बारे में जानेंगे।

कैसे करें पूजा-साधना

सबसे पहले ब्रह्ममुहरत में उठकर साफ़ और शुद्ध पानी से स्नान कर लें। पानी में थोड़ा सा गंगाजल मिला लें जिससे पानी पवित्र हो जाए। स्नान करने के बाद सफ़ेद, भगवा, पीले या लाल वस्त्र धारण करें। उसके बाद अपने पूजा घर को साफ़ कर, शिवजी की प्रतिमा, शिवलिंग, या शिवजी की तस्वीर की स्थापना करें। उसके बाद जल और पंचामृत से अभिषेक करें। पुष्प, धुप और दिया अर्पित करें। फल चढ़ाएं और भस्म भी अर्पित करें। उसके बाद पूरा दिन व्रत रखने का संकल्प लें।

असली साधना का समय शाम 6:30 से शुरू होगा। शिवरात्रि की रात को 4 प्रहार में विभाजित किया गया है। पहले प्रहार जो 6:30 से 9:30 तक चलेगा, में आप शिवजी को जल और बेल पत्र चढ़ाएं और फिर पंचाक्षरी मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। उसके बाद 30 से 45 मिनट के लिए साधना में बैठ जाएं।

दूसरा प्रहार 9:30 से 12:30 बजे तक है। इसमें आप शिवजी को जल और दही अर्पित करें। यह सब अर्पित करने के बाद एक बार फिर उनपर बेल पत्र चढ़ाएं। आप दिया भी प्रज्वलित कर सकते हैं और प्रशाद भी चढ़ा सकतें हैं। उसके बाद फिर से साधना में बैठ जाएँ। प्रार्थना करें कि हमें शिव तत्त्व प्राप्त हो। आप पंचाक्षरी मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप कर सकतें है।

तीसरा प्रहर 12:30 से 3:30 बजे तक है। इसमें शिवजी को जल और घी अर्पित करें। अगर हो सके तो 108 बेल पत्र भी चढ़ाएं। अगर आपके पास 108 बेल पत्र नहीं है तो केवल भाव से पूजा करें। उसके बाद फिर से साधना में बैठ जाएँ, या फिर पंचाक्षरी और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। भूलें न कि आपको आपकी रीढ़ की हड्डी सीढ़ी रखनी है।

इसी प्रकार चौथे और आखरी प्रहर, यानी 3:30 से 6:30 बजे के बीच आप शिवजी को शहद अर्पित करें। शहद के बाद आप शिवलिंग को अच्छे से जल से साफ़ करें और उसे भाव से सजाएं। यह सबसे महत्वपूर्ण प्रहर है। इसमें आपको खास साधना में बैठना ही है।

तो इस तरह आप भाव से शिवजी की पूजा-आराधना करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त कर अपनी स्पिरिचुअल जर्नी को आगे बढ़ाएं।