महाराष्ट्र के गोंदिया के रहने वाले 35 वर्षीय जगदीश उइके की पहचान पुलिस ने एक ऐसे व्यक्ति के रूप में की है, जिसने पिछले दो हफ्तों में 400 से अधिक फ्लाइट्स और कई सरकारी कार्यालयों को बम धमकी की e-mail भेजी थी। इस मामले की जांच नागपुर पुलिस की विशेष टीम द्वारा की गई, जिसके नेतृत्व में डीसीपी श्वेता खेडकर थीं। कई झूठे e-mail भेजने के पीछे का मंसूबा और इस घटनाक्रम की गंभीरता उजागर हुई। फिलहाल जगदीश उइके फरार है, और पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए विशेष टीमें गठित कर चुकी है।
आतंकवाद पर किताब लिख चुका, पीएम से मिलना चाहता है आरोपी
पुलिस के मुताबिक, जगदीश उइके आतंकवाद पर एक किताब लिख चुका है। उसकी e-mails में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की इच्छा जाहिर की गई है। इन ईमेल्स में उसने “गुप्त आतंकी कोड” की जानकारी साझा करने की अनुमति मांगी है और इस जानकारी को प्रधानमंत्री के सामने प्रस्तुत करने की बात कही है। 21 अक्टूबर को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव को भी उसने e-mail भेजा था, जिसमें इसी तरह के विचार व्यक्त किए गए थे।
झूठी धमकियों के और मामले, मशहूर होने की चाहत के चलते फेक पोस्ट्स
यह मामला एकल घटना तक सीमित नहीं है। 26 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस ने 25 वर्षीय युवक शुभम उपाध्याय को हिरासत में लिया, जिसने दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर बम की झूठी पोस्ट्स की थीं। पूछताछ में शुभम ने बताया कि वह सोशल मीडिया पर मशहूर होना चाहता था, इसलिए उसने यह कदम उठाया। इसी तरह, 17 अक्टूबर को मुंबई पुलिस ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से एक नाबालिग को गिरफ्तार किया। इस किशोर ने दोस्त से पैसों के विवाद के चलते दोस्त के नाम से सोशल मीडिया अकाउंट पर चार फ्लाइट्स में बम होने की झूठी धमकियां पोस्ट की थीं।
सरकार की सख्त एडवाइजरी, सोशल मीडिया पर कड़ा एक्शन
देशभर में लगातार मिल रही धमकियों के बीच केंद्र सरकार ने इन घटनाओं पर सख्त रवैया अपनाया है। आईटी मंत्रालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निर्देश जारी किया है कि अगर वे ऐसी झूठी सूचनाओं को फौरन नहीं हटाते हैं, तो उन्हें आईटी एक्ट के तहत मिलने वाली इम्युनिटी रद्द कर दी जाएगी। मंत्रालय ने सोशल मीडिया कंपनियों से अपेक्षा की है कि वे ऐसी गतिविधियों पर तुरंत कार्रवाई करें और इसकी जानकारी संबंधित अधिकारियों को दें।
NIA की साइबर विंग तैनात, एयरपोर्ट्स पर सुरक्षा कड़ी
राष्ट्रीय सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए नेशनल इन्वेस्टिगेटिव एजेंसी (NIA) ने 28 अक्टूबर को प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर अपनी साइबर विंग के अधिकारियों को तैनात किया है। इसके अलावा, खालिस्तानी आतंकवादी गुरपतवंत सिंह पन्नू ने हाल ही में एक एयर इंडिया फ्लाइट पर बम से हमला करने की धमकी दी, जिसमें उसने 1984 के सिख विरोधी दंगों का भी जिक्र किया।
यह घटनाक्रम हमें इस तथ्य पर विचार करने को मजबूर करता है कि एक तरफ, जहां साइबर तकनीक का विकास हुआ है, वहीं इसके दुरुपयोग ने समाज के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हर बार पुलिस को इन धमकियों पर व्यापक कार्रवाई करनी पड़ती है, जिससे कई संसाधन और समय नष्ट होते हैं। उइके और अन्य आरोपी इस घटना के पीछे जिस प्रसिद्धि या ध्यान की तलाश में हैं, वह कानून के दायरे में नहीं आती और समाज के लिए भी खतरनाक साबित होती है। इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए एक सशक्त साइबर नीति और सामुदायिक जागरूकता की आवश्यकता है, ताकि लोग इस प्रकार की गतिविधियों से दूर रहें और समाज में एक सकारात्मक सोच को बढ़ावा मिल सके।
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