महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इतिहास रचते हुए महायुति गठबंधन को प्रचंड बहुमत तक पहुंचा दिया है। 288 सीटों वाले सदन में महायुति ने बढ़ता बनाते हुए एक मजबूत सरकार बनाने का रास्ता साफ कर दिया है। लेकिन, इस बंपर जीत के बाद राज्य में सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है: अगला मुख्यमंत्री कौन होगा?
बीजेपी ने इस चुनाव में 149 सीटों पर लड़ाई लड़ी और 125 से अधिक सीटों पर जीत दर्ज की। वहीं, शिवसेना (शिंदे गुट) ने 81 सीटों पर चुनाव लड़कर 55 सीटों पर शानदार प्रदर्शन दिखा रहे हैं। हालांकि, बीजेपी का योगदान कहीं अधिक है, लेकिन शिवसेना के शिंदे गुट और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के बिना यह गठबंधन संभव नहीं था।
देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति में एक अनुभवी और प्रभावी चेहरा हैं। 2014-2019 के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को स्थिरता और विकास की दिशा में एक सफल प्रयोग के रूप में देखा जाता है। 2022 में शिवसेना में हुई टूट के बाद, बीजेपी ने जब एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया, तब फडणवीस ने डिप्टी सीएम की भूमिका को स्वीकार कर अपनी पार्टी के प्रति अद्वितीय निष्ठा और राजनीतिक परिपक्वता का परिचय दिया।
इस बार बीजेपी का शानदार प्रदर्शन फडणवीस के चुनावी रणनीति और संगठनात्मक कौशल का परिणाम है। यह उनकी नेतृत्व क्षमता और राज्य की राजनीति में गहरी समझ का प्रमाण है।
एकनाथ शिंदे, अपने शांत स्वभाव और मजबूत नीतिगत निर्णयों के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने शिवसेना में विद्रोह करके न केवल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व को चुनौती दी, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी महत्वपूर्ण उपस्थिति दर्ज कराई। शिंदे का मुख्यमंत्री कार्यकाल महायुति की स्थिरता के लिए एक मजबूत स्तंभ साबित हुआ। ग्रामीण महाराष्ट्र और मराठा समुदाय में उनकी लोकप्रियता ने गठबंधन को व्यापक समर्थन दिलाया।
इस रेस में अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी भी शामिल हैं। आपको बता दें नतीजे से एक दिन पहले एनसीपी प्रमुख और डिप्टी सीएम अजित पवार को मुख्यमंत्री के रूप में दिखाने वाले पोस्टर लगाए गए। बाद में हटा भी दिए गए। पोस्टर को पुणे में पार्टी नेता संतोष नांगरे ने लगाया था।
वहीं बीजेपी ने इस चुनाव में न केवल अधिक सीटें जीती हैं, बल्कि गठबंधन को जीत की ओर ले जाने में सबसे बड़ा योगदान दिया है। पार्टी का मानना है कि अब समय आ गया है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी भाजपा के पास हो। फडणवीस की लोकप्रियता और उनके सफल प्रशासनिक अनुभव के कारण बीजेपी इस पद पर दावा मजबूत बना सकती है।
शिवसेना (शिंदे गुट) की दलील यह है कि 2022 में शिवसेना में विद्रोह के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व ने महायुति सरकार को आकार दिया। शिंदे के मुख्यमंत्री बनने से शिवसेना की टूट के बावजूद पार्टी ने अपना आधार बनाए रखा। ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री बनाए रखना महायुति की एकता के लिए जरूरी होगा।
बीजेपी के नेतृत्व में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह ने हमेशा से विनिंग फॉर्मूला पर काम किया है। इस बार भी यह तय माना जा रहा है कि वे एक ऐसा समाधान निकालेंगे जो पार्टी के हित में हो। हालांकि, बीजेपी की 125+ सीटों की ताकत यह संकेत देती है कि पार्टी मुख्यमंत्री पद पर अपना दावा पेश करने में पूरी तरह सक्षम है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बीजेपी ने अपने हितों को पीछे रखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंपा था। अब, जब बीजेपी ने अपने प्रदर्शन को और मजबूत किया है, तो शायद शिंदे को इस बात को समझने की जरूरत है कि सत्ता संतुलन बनाए रखने के लिए अब बारी बीजेपी की है।
महाराष्ट्र में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, यह सवाल जितना बड़ा है, उसका जवाब भी उतना ही पेचीदा। यदि फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाना बड़े तो इससे बीजेपी को दीर्घकालिक स्थिरता और अपने वोटबैंक को मजबूत करने का मौका मिलेगा। वहीं यदि शिंदे को सीएम की सीट सौंपी गई तो इससे महायुति की एकता का संदेश जाएगा, खासकर शिवसेना के समर्थकों के बीच।
कुल मिलाकर यह चुनाव न केवल बीजेपी की ताकत को साबित करता है, बल्कि महाराष्ट्र में गठबंधन राजनीति का एक नया अध्याय भी लिखता है। मुख्यमंत्री पद के लिए फडणवीस और शिंदे के बीच का निर्णय महायुति की दीर्घकालिक स्थिरता और राजनीतिक समझौते की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
महान नेतृत्व वही होता है जो न केवल जीत हासिल करे, बल्कि गठबंधन की एकता और जनता की उम्मीदों को बनाए रखे। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी और शिंदे गुट मिलकर किस तरह महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री का चयन करते हैं।
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