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maha kumbh 2025

महाकुंभ 2025 आपके जीवन का दुर्लभ अवसर, हर 12 साल में क्यों होता है आयोजन, जानें इसका पौराणिक और ज्योतिषीय महत्व

Maha Kumbh: सनातन धर्म में महाकुंभ का आयोजन सबसे पवित्र और महत्वपूर्ण धार्मिक घटनाओं में से एक माना जाता है। यह आयोजन सिर्फ चार पवित्र स्थलों – प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में होता है और इसे जीवन में एक बार देखने का सौभाग्य मिलना बेहद दुर्लभ है।

कुंभ मेला का पौराणिक महत्व
कुंभ मेले की शुरुआत का संबंध समुद्र मंथन की कथा से है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था। इस मंथन से प्राप्त अमृत के कलश से कुछ बूंदें पृथ्वी पर चार स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में गिरीं। इसलिए इन चार स्थलों को दिव्य और पवित्र माना जाता है और यहां कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।

पूर्ण महाकुंभ का आयोजन
महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है। हालांकि, पूर्ण महाकुंभ का आयोजन 144 सालों में एक बार होता है। यह बेहद दुर्लभ घटना है। इसका गणित भी पौराणिक कथाओं और ज्योतिष शास्त्र से जुड़ा है।

देवताओं और असुरों के बीच अमृत के लिए 12 दिनों तक युद्ध चला था।
देवताओं के 12 दिन पृथ्वी के 12 वर्षों के बराबर माने जाते हैं।
इसी कारण हर 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है।
ज्योतिषीय दृष्टि से महाकुंभ का महत्व
महाकुंभ का आयोजन ग्रह-नक्षत्रों की विशेष स्थिति के अनुसार किया जाता है।

जब बृहस्पति ग्रह वृषभ राशि में हो और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब प्रयागराज में कुंभ मेले का आयोजन होता है।
हरिद्वार में कुंभ तब होता है जब गुरु बृहस्पति कुंभ राशि में हों और सूर्य मेष राशि में गोचर करते हों।
नासिक में कुंभ का आयोजन तब होता है जब सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में स्थित होते हैं।
उज्जैन में कुंभ तब होता है जब गुरु सिंह राशि में हों और सूर्य मेष राशि में गोचर करते हों।

महाकुंभ का महत्व और प्रभाव
महाकुंभ सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता और विश्वास का सबसे बड़ा उत्सव है। इसे पवित्रता, आत्मशुद्धि और मोक्ष का मार्ग माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि महाकुंभ में संगम के पवित्र जल में स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और आत्मा को शांति मिलती है।

इस वर्ष का आयोजन बेहद खास है क्योंकि यह पूर्ण महाकुंभ का समय है। 13 जनवरी से शुरू होने वाले इस महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालु प्रयागराज के संगम तट पर स्नान करने और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए एकत्रित होंगे।

तो यदि आपको इस ऐतिहासिक और पवित्र आयोजन का हिस्सा बनने का मौका मिले, तो इसे अपने जीवन के सबसे बड़े अवसर के रूप में देखना चाहिए।