इतिहास और परंपरा
जीएसबी सेवा मंडल की स्थापना 1954 में हुई थी, और तब से यह मंडल गणपति उत्सव को अत्यंत श्रद्धा और भव्यता के साथ मनाता आ रहा है। मंडल का नाम गौड़ सारस्वत ब्राह्मण (जीएसबी) समुदाय से जुड़ा है, जो अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं के प्रति समर्पित है। यह मंडल गणपति उत्सव को सिर्फ धार्मिक नहीं बल्कि सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी मनाता है।
महागणपति की विशेषताएं
जीएसबी सेवा मंडल का महागणपति विशेष रूप से सोने और चांदी के आभूषणों से सजाया जाता है। इस बार यहां गणपति मूर्ति को 69.400 किलो 22 कैरेट सोने और 336 किलो चांदी के आभूषण पहनाए जाएंगे। सोना 2023 से 400- ग्राम ज्यादा है। मूर्ति समेत पंडाल का बीमा 400 करोड़ रु. से ज्यादा का है।
मंडल के अध्यक्ष अमित डी पई ने बताया कि यहां की कई खूबियां हमें बाकियों से अलग बनाती हैं। जैसे गणपति मंच के ठीक सामने 25 फीट दूर दो बड़े हवन कुंड बने हैं। यहां 7 सितंबर से पांच दिन तक रोज 7 हजार हवन होंगे, जो सुबह 7 बजे बजे शुरू शुरू होकर ह र रात 11 बजे तक चलेंगे। पंडाल में सबसे छोटी पूजा 555 रु. तो सबसे बड़ी 7 लाख रु. की होती है। इस बार 7 लाख रु. की 6 पूजाएं हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम
गणपति उत्सव के दौरान जीएसबी सेवा मंडल में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता है। मंत्रोच्चार, हवन, और विशेष पूजा अर्चना के साथ-साथ संगीत और नृत्य के कार्यक्रम भी यहां आयोजित किए जाते हैं। यह उत्सव न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि मुंबई के सांस्कृतिक जीवन का भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है।
सुरक्षा और सुविधाएं
जीएसबी सेवा मंडल में आने वाले भक्तों की सुरक्षा और सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है। हर साल यहां बड़ी संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं, और इसको देखते हुए मंडल में अत्याधुनिक सुरक्षा इंतजाम किए जाते हैं। भक्तों के लिए विशेष दर्शन और प्रसाद वितरण की व्यवस्था भी की जाती है, जिससे हर कोई आसानी से भगवान गणपति के दर्शन कर सके।
सामाजिक कार्यों में योगदान
जीएसबी सेवा मंडल न केवल धार्मिक आयोजनों में बल्कि सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय भूमिका निभाता है। गणपति उत्सव के दौरान मंडल कई सामाजिक और सामुदायिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है, जिसमें रक्तदान शिविर, स्वास्थ्य जांच और जरूरतमंदों को सहायता प्रदान की जाती है।
मुंबई के जीएसबी सेवा मंडल का महागणपति उत्सव एक ऐसा आयोजन है, जो न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है। हर साल हजारों भक्त इस उत्सव में शामिल होकर अपने जीवन को धन्य मानते हैं, और इस मंडल के महागणपति की कृपा से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।
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