Nalini Raval
1 Mar. Vadodara: भगवान शिव की यू तो पूजा करने का कोई वक्त या समय नहीं होता, लेकिन शिव पूजन का महापर्व है,शिवरात्रि। वर्ष में एक बार आता यह महापर्व भक्तों के लिए विशेष पर्व है।
शिवरात्रि ….. यानी भगवान शिव की भक्ति ,पूजा ,अर्चना का महापर्व।भगवान शिव को आदिदेव की उपाधि दी गई है। उनका न जन्म है न ही विलय।कहते है शांत,स्थितप्रज्ञ भोलेनाथ को रिझाना ज्यादा कठिन नही है। उन्हें रिझाकर वरदान ले जाने वाले कई असुर उन्ही पर हल्ला बोल देते थे।
शिवजी की अनेकों कथाएं है, जिनसे हमें शिवजी के कार्यकलापों के बारे में पता चलता है। शिवरात्रि पर्व को लेकर भी एक कथा है।
एक समय की बात है।एक पारधी (शिकारी) कई दिन से भूखे अपने परिवार के लिए भोजन हेतु शिकार करने निकला। जंगल में बारिश के कारण उसे शिकार मिलना मुश्किल हो रहा था। तभी उसे एक हिरण का जोड़ा दिखा, उसने जैसे ही शरसंधान किया, हिरण ने उसे मानवीय आवाज में कहा कि फिलहाल वह उसे जाने दे, उसके नन्हे शावक उसका इंतजार कर रहे है,वह उनसे मिलकर, भोजन खिलाकर वापस आयेंगे, तब उनका खुशी से शिकार करना।
पहले तो वह नहीं माना पर हिरणो ने वचन दिया तो उसने उन्हें जाने दिया। बारिश बढ़ने पर वह उनके इंतजार में एक पेड़ पर चढ़ गया। वह चिंता, भूख, और परेशानी के चलते पेड़ की पत्तियां तोड़कर नीचे फेक रहा था। यह पेड़ बिल्वपत्र का था। और नीचे मिट्टी में दबे शिवलिंग पर यह पत्तियां गिर रही थी। भोलेनाथ की उसने अनजाने में ही रातभर जागकर बिल्वपत्र से पूजा की थी। सुबह होते ही हिरनो का जोड़ा शावकों के साथ वहा पहुंचा ,और उनकी मौत मांगी। इस पर शिकारी को दया आई और उन्हें छोड़ दिया। उसकी रात भर की पूजा और उसकी इस दया के कारण भगवान शिव ने साक्षात दर्शन दिए, और वरदान दिया कि अमावस्या की रात को जागरण कर उनका पूजन करने से इस दिन को विश्व में शिवरात्रि पर्व के रूप में मनाया जायेगा। शिवरात्रि पर शिवपूजन करने वालों के सभी दुख दर्द दूर होंगे।
यू तभी से शिवरात्रि पर्व पर रातभर शिवपूजन की महिमा है। भोलेनाथ के सभी मंदिरों में शिवपूजन किया जाता है, और भक्त की दर्शन कर धन्य होते है।
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