CATEGORIES

September 2024
M T W T F S S
 1
2345678
9101112131415
16171819202122
23242526272829
30  
Sunday, September 8   12:37:45
madan mohan

“लग जा गले के फिर ये हसीं रात हो ना हो…”जैसी लाजवाब धुनों के बादशाह मदन मोहन

“लग जा गले कि फिर ये हंसी रात हो न हो….”जैसे अनमोल गीतों का खज़ाना हमारे लिए छोड़कर जाने वाले संगीतकार मदन मोहन संगीत की दुनिया के कोहिनूर थे।

सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर,मोहम्मद रफी जैसे बेशकीमती गायकों ने उनकी धुन को अपने स्वर से परवान चढ़ाया। अभी हाल ही में 14 जुलाई के रोज़ उनकी 49 में पुण्यतिथि थी। 25 जून 1924 को बगदाद में जन्मे और 1932 के बाद स्वदेश परिवार के साथ वापस लौटे मदन मोहन कोहली ने महज़ 51 वर्ष की उम्र में मुम्बई में उन्होंने इस दुनिया से विदाई ली, लेकिन सन 1950 में बॉलीवुड में पदार्पण करने वाले मदन मोहन की धुनें आज भी लोगों के दिलों में गूंजती हैं।

सन 1964 मे आई फिल्म “वह कौन थी” का लता मंगेशकर द्वारा गाया गया,मेहंदी अली खान रचित,और मदन मोहन द्वारा संगीतबद्ध गीत “लग जा गले के फिर यह हंसी रात हो ना हो, शायद फिर इस जन्म में मुलाकात हो ना हो….”
आज भी फिल्मी संगीत प्रेमियों की टॉप टेन की लिस्ट में पहले नंबर पर शुमार है।

ऐसे ही 1962 में आई फिल्म अनपढ़ का गीत…”आपकी नज़रों ने समझा प्यार के काबिल मुझे…”संगीत की मुलामियत को बखूबी अनुभव करवाता है।

सन 1950 से 1975 तक के उनके फिल्मी करियर में उन्होंने 100 से अधिक फिल्मों में अपना संगीत दिया ।उनका संगीत हमेशा हर गीत के लिए इतना लाजवाब रहा कि उनके श्रेष्ठतम गीत को चुनना अपने आप में एक चुनौती है। उन्होंने “जरा सी आहट होती है तो दिल सोचता है, कहीं ये वो तो नहीं….” जैसी गजल,सन 1964 में आई फिल्म “हकीकत” में पेश की। इस ग़ज़ल के गजल कार थे, कैफ़ी आज़मी। उनके संगीत की खासियत ये थी कि उन्होंने कभी अपने संगीत से शब्दों की खुबसूरती नही दबाया। क्योंकि वे जानते थे कि शब्द ही गीत की आत्मा होते हैं, और इन शब्दों की खूबसूरती को निखारता है संगीत।

यूं तो उनके गीतों की यदि बात की जाए तो कौन सा गीत याद करें, और कौन सा छोड़ दे यह भी एक बहुत बड़ी जद्दोजेहद है। “मेरा साया” फिल्म का गीत “नैना बरसे रिमझिम रिमझिम”..” देख कबीरा रोया”फिल्म का “कौन आया मेरे मन के द्वारे…” “हंसते जख्म” फिल्म का गीत “बेताब दिल की तमन्ना यही है”…मोहम्मद रफी द्वारा गाई गई ग़ज़ल “रंग और नूर की बारात किसे पेश करूं”… “हंसते जख्म” का गीत “आज सोचा तो आंसू भर आए…” फिल्म “अदालत” का “यूं हसरतों के दाग मोहब्बत में धो लिए…” फिल्म “आपकी परछाइयां” का गीत “अगर मुझसे मोहब्बत है मुझे सब अपने गम दे दो….”जैसे अमर गीतों की बहुत बड़ी फेहरिस्त है। सन 2004 में आई फिल्म “वीर जारा” के गीत मदन मोहन द्वारा उपयोग में नहीं लाई गई धुनों में पिरोए गए थे। सन 1965 में फिल्म “हकीकत” में मोहम्मद रफी द्वारा गाया गया गीत “कर चले हम फिदा जानो तन साथियों,अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों,…””आज भी लोगों की आंखे सजल कर देता है।

आज से 49 साल पहले 14 जुलाई सन 1975 को मदन मोहन इस फानी दुनिया को अलविदा कह गए,लेकिन उनके गीतों की धुनों में वे आज भी जिंदा है।एक ऐसा संगीत का दौर उन्होंने दिया जिसे आज भी हर कोई याद करता है।