कालों के काल महाकाल और देवों के देव महादेव को इस सृष्टि का जनकदाता कहा जाता है। महाशिवरात्रि के शुभ दिन पर भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए शिवालयों में जाते हैं और भोलेनाथ समेत पूरे परिवार का अभिषेक करते हैं। शिव परिवार में आप भगवान शिव माता पार्वती और उनके दो पुत्र गणेश और कार्तिकेय के बारे में तो जानते ही होंगे, लेकिन क्या आपको पता है! भोलेनाथ की 5 पुत्रियां भी थी? इनका जन्म अनजाने में हो गया था। आज इस ब्लॉग में शिव परिवार के बारे में हम आपको संपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं।
भारतीय संस्कृति पुराणों, वेदों पर आधारित है। इनमे कई कथाएं प्रचलित है। जिन्हे कही सत्य तो कही कल्पना,या रूपक के रूप में लिया जाता रहा है। भगवान शिवजी को लेकर भी कई कथाएं प्रचलित है। हम सब जानते है की शिवजी के दो पुत्र कार्तिकेय और गणेश जी है। उनकी पांच पुत्रियों का भी उल्लेख शिवपुराण के ज्ञाता करते है। शिव पार्वती की पुत्री ओखा यानी अशोक सुंदरी का उल्लेख मिलता है।
माना जाता है कि इनके अलावा महादेव में और भी पुत्रियां थी जया, विषहर, शामिलबारी, देव और दोतलि जिन्हें नागकन्या कहा जाता है।
शिव पुराण में भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्रियों का वर्णन मिलता है। शिव पुराण में लिखित कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती सरोवर में ध्यान मग्न थे कि उसी समय भगवान शिव के मुख पर एक मंद मुस्कान आई। उस मुस्कान से 5 मोती सरोवर में झड़ कर गिर गए। उन पांच मोतियों से पांच कन्याओं का जन्म हुआ लेकिन यह कन्याएं मनुष्य रूप में होने के स्थान पर नाग रूप में जन्मी थीं।
उनके जन्म के बारे में माता पार्वती को कोई जानकारी नहीं थी। मगर भगवान शिव को सब पता था और वह उन कन्याओं से गणेश और कार्तिकेय की तरह ही स्नेह किया करते थे। इसलिए वे हर सुबह जाकर सरोवर के पास पांच नाग कन्याओं से मिलते थे और उनके साथ खेलते थे।
बहुत वक्त तक ऐसा चलता रहा फिर एक बार माता पार्वती को शक हुआ कि महादेव आखिर सुबह-सुबह जाते कहां है। शक होने पर एक दिन माता पार्वति ने शिव जी क पीछा किया। वहां जाकर माता पार्वती ने देखा कि महादेव पिता की तरह उन पांच नाग कन्याओं के साथ खेल रहे हैं। तब माता को क्रेध आ गया और उन्होंने वशीभूत होकर पांचों नाग कन्याओं को मारना चाहा। जैसे ही उन्होंने मारने के लिए पैर उठाया तभी भोलेनाथ ने उनको रोककर बताया कि ये पांचों नाग कन्याएं आपकी पुत्री हैं। महादेव की इस बात से माता पार्वती आश्चर्य से देखने लगीं। फिर शिवजी ने देवी पार्वती को नाग कन्याओं के जन्म की कथा बताई। शिवजी की कथा सुनकर माता पार्वती ने भी उन्हें अपनी पुत्रियों के रूप में स्वीकार कर लिया।
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