CATEGORIES

February 2025
M T W T F S S
 12
3456789
10111213141516
17181920212223
2425262728  
Sunday, February 23   5:47:54

कोरोना मरीजों से डिपॉजिट के नाम पर लाखों की लूट

आज पूरा भारतवर्ष कोरोना महामारी से जूझ रहा है।
जहां एक ओर कई राज्यों में कोरोना संक्रमितो के इलाज के लिए ऑक्सीजन की कमी सामने आ रही है वहीं दूसरी ओर कही दवाइयों, ऑक्सीजन सप्लाई या बिस्तरों की कमी देखी जा रही है।
लेकिन इन सब के बीच एक बहुत ही गंभीर मुद्दा आज सामने आया है। जहां एक ओर कोविड के मरीज हॉस्पिटल में एक बिस्तर के लिए तड़प रहे है वही ऐसे कई मरीज सामने आए हैं जो कोविड के इलाज से जुड़ी कीमतों को लेकर काफी चिंतित हैं।

एक निजी अस्पताल में मरीज को एडमिट करने के लिए 13000 रुपए का भुगतान भरने के लिए कहा और साथ ही में 4500 रूपए अलग से दवाइयों के लिए मांगे गए और तो और मरीज़ के परीक्षण के लिए उस से 16000 रुपए अलग से लिए गए। जो की सभी दूसरे अस्पतालों के असल कीमतों से कई ज्यादा है। इस खबर की मानें तो उस मरीज़ ने परीक्षण के रुपए जमा तो किए थे लेकिन अस्पताल की ओर से उसे किसी भी तरह की कोई रिपोर्ट नहीं दी गई थी, बल्कि डिस्चार्ज पेपर्स के साथ दवाइयों का एक लंबा बिल थमा दिया गया था।
यह कहानी है तो दिल दहला देने वाली, लेकिन यह इस समाज की नई असलीयत बन गई है। जहां एक ओर एक मरीज अपने डॉक्टर के पास अपना इलाज करवाने और अपने आप को वापस स्वस्थ देखने की उम्मीद में जाता हैं, वही दूसरी ओर उन्हीं डॉक्टर्स ने अपने इस काम को पैसे कमाने का एक नया ज़रिए सा बना लिया है।
सरकार और जिला अधिकारियों के प्रयासों के बावजूद, आज ऐसे दिन देखने मिल रहे हैं। जिसकी वजह से COVID अस्पताल और वार्ड में परिवार वालों के लिए और उनके इलाज के लिए कही न कही रुपयों की सीमा उनकी अपनी सीमा से बाहर होती नजर आ रही है।

इतना ही नहीं, एक और खबर की माने तो एक व्यक्ति जो की अपनी बहन का इलाज करवाना चाहते थे, जब वो मरीज अस्पताल पहुंची तो उससे हाथों हाथ 1 लाख रुपए अस्पतल में डिपोजिट के तौर पर मांगे थे, इतना ही नहीं 25000 रुपए प्रतिदिन शुल्क के रूप में मांगे गए थे। जिसके लिए मरीज ने विरोध तो किया मगर बदले में उसको “या तो पैसे दो या तो यहां से जाओ” जैसे शब्द सुनने को मिले थे।
लेकिन एक बेबस मरीज़ के लिए अपनी जान से ज़्यादा कभी कुछ नहीं होता, जिसके चलते मरीज ने सभी शुल्क स्वीकार कर खुद को अस्पताल में भर्ती तो कर लिया था लेकीन इतने शुल्क का भुगतान करना भी उसको मुश्किल हो रहा था।
अगर, ऐसा ही चलता रहा तो एक मरीज़ अस्पताल के भाव का भुगतान करते हुए ही अपनी जान गवा बैठेगा।
आज जैसी परिस्थिति है उसके हिसाब से डॉक्टर्स को भगवान का दर्जा दिया गया है, लेकिन अगर वहीं डॉक्टर्स या उनके अस्पताल के कर्मी ऐसा काम करेंगे तो एक मरीज़ शायद उस डॉक्टर से इलाज करवाने से पहले ही कई बारी सोचेगा, और यह वही मरीज होगा जो पहले बिना सोचे समझे उस डॉक्टर से अपनी जान बचाने की आस लगाए बैठा रहता था।।

अंतः सरकार से ऐसी गुहार लगाई जाती है की आज जिस परिस्थिति से पूरा देश जूझ रहा है, उसको मद्देनजर रखते हुए ऐसे अस्पतालों के खिलाफ सख़्त कदम उठाए जाने चाहिए और सरकार से विनती है की जहां मिरिज़ो को बेड अथवा ऑक्सीजन की कमी हो वहा उन तक अपना मदद का हाथ पहुंचाए अथवा सभी व्यवस्था तुरंत दी जाए।