CATEGORIES

April 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
282930  
Tuesday, April 1   8:57:42

कोलकाता के रेप-मर्डर मामले में दोषी को उम्रकैद, पीड़ित परिवार ने मुआवजा लेने से किया इनकार

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में हुई ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के मामले में दोषी संजय रॉय को उम्रभर की सजा सुनाई गई है। अदालत ने इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ मामला नहीं माना और मौत की सजा देने से मना कर दिया। इस मामले ने पूरे देश को हिला दिया था, खासकर उस दौरान जब स्वास्थ्य सेवाएं बंगाल में महीनों तक प्रभावित रहीं।

8-9 अगस्त 2024 की रात को आरजी कर अस्पताल में एक ट्रेनी डॉक्टर की हत्या और बलात्कार हुआ था। संजय रॉय, जो कि एक सिविक वॉलंटियर था, को 10 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था। कोर्ट ने 18 जनवरी को संजय को दोषी ठहराया था और अब 20 जनवरी को सजा सुनाई गई है। सियालदह कोर्ट के जज अनिर्बान दास ने मामले की गंभीरता को समझते हुए दोषी को उम्रभर की सजा दी, हालांकि उन्होंने इसे ‘रेयरेस्ट ऑफ रेयर’ नहीं माना, जिससे फांसी की सजा देने से बचा गया।

संजय रॉय के खिलाफ CBI ने ठोस सबूत पेश किए थे, जिनमें घटनास्थल से मिले DNA साक्ष्य और CCTV फुटेज शामिल थे। इसके अलावा, संजय की जींस और जूतों पर पीड़िता का खून पाया गया था, जिससे उसकी संलिप्तता साबित हुई। इस मामले में जांच में शामिल 100 गवाहों के बयान, 12 पॉलीग्राफ टेस्ट, और फोरेंसिक रिपोर्ट ने इस केस को और मजबूत किया।

हालांकि, पीड़ित परिवार ने अदालत द्वारा दिए गए 17 लाख रुपये के मुआवजे को लेने से साफ इनकार कर दिया। परिवार ने कहा कि उन्हें मुआवजा नहीं चाहिए, उन्हें केवल न्याय चाहिए। इसके अलावा, पीड़िता के माता-पिता ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाने का भी संकेत दिया है, उनका मानना है कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर के तहत आता है और संजय रॉय को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस मामले में एक और पहलू उठाया और कहा कि यदि यह केस कोलकाता पुलिस के पास होता, तो दोषी को फांसी की सजा मिलती।

इस घटना ने मेडिकल समुदाय और आम जनता को भी झकझोर कर रख दिया। जूनियर डॉक्टर फेडरेशन और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसका विरोध किया और दोषी को कड़ी सजा देने की मांग की। यह मामला न सिर्फ कानूनी दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सुरक्षा की समस्या को भी उजागर करता है, जो डॉक्टरों और मेडिकल कर्मचारियों के लिए एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है।

यह केस न केवल एक जघन्य अपराध का उदाहरण है, बल्कि यह समाज की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठाता है। हमें यह समझने की जरूरत है कि चिकित्सा सेवा में कार्यरत लोग, विशेष रूप से डॉक्टर और नर्स, समाज के नायक होते हैं और उन्हें सुरक्षा की गारंटी मिलनी चाहिए। इस घटना ने यह साबित किया कि एक डॉक्टर भी असुरक्षित हो सकता है, जो न केवल हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करता है, बल्कि अपनी जान को भी जोखिम में डालता है। ऐसी घटनाओं से यह भी स्पष्ट होता है कि न्याय प्रणाली को और प्रभावी बनाने की आवश्यकता है, ताकि अपराधियों को तुरंत और सही सजा मिल सके, जिससे समाज में सुरक्षा का माहौल बने।