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बरसाना की लट्‌ठमार होली: रंगों से भरी गलियों में हुरियारिनों का जमकर होगा मुकाबला

मथुरा का बरसाना, जहां हर साल होली का जश्न कुछ अलग ही अंदाज में मनाया जाता है, इस बार भी रंगों से भरा हुआ है। बरसाना की गलियों में हुरियारिनों ने अपनी तैयारियों को पूरा कर लिया है, हाथों में तेल लगी लाठियां और चेहरे पर घूंघट के साथ, वे अपने सखाओं को नंदगांव से लाए गए ढालों से ललकारने के लिए तैयार हैं। इस दौरान, नंदगांव से आए हुरियारे करीब 50 किलोमीटर का सफर तय कर बरसाने पहुंचे हैं, जहां वह इस साल भी लट्‌ठमार होली के रंग में डूबने के लिए तैयार हैं।

बरसाने की रंगीली गली में होली का उत्साह चरम पर है। यहां की गलियां अबीर-गुलाल से सजी हैं और जगह-जगह हुरियारिन लाठियां लेकर खड़ी हैं। स्थानीय निवासी सावित्री कहती हैं, “जब हम होली खेलते हैं, तो ऐसा लगता है कि किशोरीजी (राधा) हमारे साथ हैं और ठाकुरजी हमारे सामने बैठे हैं।” उनका कहना है कि यहां की बहुएं ही लट्‌ठमार होली खेलती हैं, और उनका श्रृंगार भी ठाकुरजी के नाम होता है।

यह सालाना होली उत्सव न केवल भारत बल्कि विदेशों से भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस बार करीब 10 लाख लोग मथुरा पहुंच चुके हैं और इस लट्‌ठमार होली का हिस्सा बनने के लिए बेताब हैं। पुलिस ने इस विशाल भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कड़ी सुरक्षा व्यवस्था बनाई है। जगह-जगह बैरिकेडिंग की गई है और पुलिसकर्मी मचान पर बैठकर निगरानी कर रहे हैं। इसके अलावा, गाड़ियों की एंट्री को बंद कर दिया गया है ताकि कोई भी अनहोनी न हो।

लट्‌ठमार होली का इतिहास

बरसाना में होली खेलने की परंपरा बहुत पुरानी है और इसे विशेष रूप से लट्‌ठमार होली के रूप में मनाया जाता है। यह परंपरा उस समय से जुड़ी हुई है जब भगवान श्री कृष्ण अपनी सखियों के साथ राधा के गांव बरसाना आए थे। वहां के पुरुषों ने महिला सखियों के लट्ठों से अपनी रक्षा करते हुए होली खेली। तब से यह परंपरा चली आ रही है और हर साल यहां महिलाओं द्वारा पुरुषों पर लाठियां बरसाई जाती हैं, जो एक अनूठी और रंगीन परंपरा बन चुकी है।

पुलिस की मुस्तैदी और सुरक्षा

इस विशाल उत्सव के दौरान, पुलिस और प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पुलिसकर्मी मचान पर चढ़कर भीड़ पर नजर रख रहे हैं, और खास तौर पर हेलीकॉप्टर से पुष्पवर्षा कर लोगों पर रंग डाले जा रहे हैं। इसके अलावा, कुछ लोग अपनी विशेष पिचकारियों से होली खेलते हैं, जैसे संजय गोस्वामी ने 11 किलो की पीतल की पिचकारी ली है, जिसमें ढाई लीटर रंग भरा जा सकता है।

बरसाना की लट्‌ठमार होली भारतीय सांस्कृतिक धरोहर का अद्वितीय हिस्सा है, जो न केवल धार्मिक उत्सव है बल्कि समाज के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। यह परंपरा न केवल हमारे धार्मिक विश्वासों को मजबूत करती है, बल्कि यह हर वर्ष एक नया उत्साह और उमंग लेकर आती है। इस होली के उत्सव में शामिल होने के लिए लाखों लोग अपने घरों से दूर आकर इस अद्भुत अनुभव का हिस्सा बनते हैं। हालांकि, इस तरह के विशाल आयोजनों के दौरान सुरक्षा की जिम्मेदारी भी अहम हो जाती है, और मथुरा पुलिस ने इस बार कड़ी निगरानी और सुरक्षा के इंतजाम करके इसे सुनिश्चित किया है कि यह उत्सव सभी के लिए सुरक्षित और यादगार बने।