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Thursday, February 6   8:37:19

लता मंगेशकर: भारत की सुर कोकिला की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि

आज लता मंगेशकर की पहली पुण्यतिथि है। स्वर कोकिला के नाम से मशहूर लता जी की 6 फरवरी, 2022 को हमें अलविदा कह दी थी, लेकिन उनकी आवाज आज भी हमारे दिलों में गूंज रही है। 92 साल की उम्र में उन्होंने मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली थी। लता जी का करियर आठ दशकों से अधिक लंबा था, जिसमें उन्होंने 36 भाषाओं में 50,000 से अधिक गीत गाए थे। उनके गाए गीत आज भी लोगों के दिलों में बसी हुई हैं, और उनकी धुनें हर सदी में जीवित रहेंगी।

कला से जुड़ा परिवार: लता मंगेशकर के शुरुआती दिन

लता मंगेशकर का जन्म एक कलाकार परिवार में हुआ था। उनके पिता दीनानाथ मंगेशकर थिएटर के प्रसिद्ध कलाकार थे, जबकि उनकी बहनें आशा भोसले, मीना खाड़ीकर और ऊषा मंगेशकर भी गायन के क्षेत्र में प्रसिद्ध हैं। लता जी की संगीत के प्रति रुचि बहुत जल्दी जागृत हुई, लेकिन उनका ये शौक पिता से छुपा हुआ था। वे अपनी मां के पास किचन में गाकर संगीत का अभ्यास करती थीं, क्योंकि वे अपने पिता से काफी डरती थीं। फिर भी, लता जी की आवाज को उनके पिता ने महसूस किया और उन्होंने लता जी की संगीत क्षमता को पहचाना।

एक सितारे का उदय: लता मंगेशकर का ब्रेक

लता जी के संगीत करियर को असली मोड़ गुलाम हैदर ने दिया, जो एक मशहूर फिल्म संगीतकार थे। 1948 में, गुलाम हैदर ने उन्हें फिल्म मजबूर के गीत “दिल मेरा तोड़ा” में गाने का मौका दिया। यह गाना इतनी बड़ी हिट साबित हुआ कि उसके बाद लता जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। हालांकि, शुरुआत में लता जी को कई बार अस्वीकार भी किया गया था, लेकिन उन्होंने अपनी मेहनत और आवाज के जादू से सबको जीत लिया।

उनकी पहली कमाई 25 रुपए थी, और 18 साल की उम्र में उन्हें फिल्म मजबूर में गाने का अवसर मिला। इस गीत के बाद लता जी ने एक से बढ़कर एक हिट गाने दिए और बॉलीवुड इंडस्ट्री में अपनी धाक जमा ली।

संगीत की महक: लता मंगेशकर की वैश्विक पहचान

लता जी ने सिर्फ हिंदी या उर्दू ही नहीं, बल्कि भारतीय संगीत की हर भाषा में अपना योगदान दिया। उन्होंने मराठी, तमिल, भोजपुरी, कन्नड़, और बंगाली जैसी 36 भाषाओं में गाने गाए। उनकी आवाज में ऐसा जादू था कि वह हर संगीतकार की पहली पसंद बन गईं। लता जी का संगीत सिर्फ फिल्मी गीतों तक ही सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने भक्ति गीतों, शास्त्रीय संगीत और लोकगीतों में भी अद्भुत प्रदर्शन किया।

लता जी का योगदान और उनकी अविस्मरणीय धरोहर

लता मंगेशकर के योगदान को कभी भी भुलाया नहीं जा सकता। उन्हें भारत रत्न, पद्म विभूषण, पद्म भूषण जैसे कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से नवाजा गया। 1974 में, उनका नाम गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में सबसे अधिक गाने रिकॉर्ड करने के लिए दर्ज किया गया था। इसके अलावा, लता जी को फिल्मफेयर, राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जैसे सैकड़ों पुरस्कार मिले। उनके गीत न सिर्फ भारतीय सिनेमा की धरोहर बने, बल्कि वे पूरी दुनिया में संगीत प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं।

लता मंगेशकर: एक गायिका से अधिक

लता मंगेशकर के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि वे बेहद बेहतरीन कुक भी थीं। वे चिकन और हलवा बनाने में माहिर थीं और उनके बनाए खाने का स्वाद कभी भुलाया नहीं जा सकता था। इसके अलावा, गोवा की मच्छी और समुद्री झींगे भी उन्हें बहुत पसंद थे। उनके खाने-पीने का शौक और नज़ाकत भी उनकी इंसानियत का प्रतीक थे।

लता मंगेशकर का प्रभाव और मेरी व्यक्तिगत राय

लता मंगेशकर सिर्फ एक गायिका नहीं थीं, वे भारतीय संस्कृति का जीवित प्रतीक थीं। उनके गीतों में हमें न केवल संगीत की सुंदरता, बल्कि हमारी संस्कृति और भावनाओं का अद्भुत मिश्रण मिला। उनके हर गीत में एक नया संसार बसा था, और उनकी आवाज में एक अनकहा जादू था। मुझे लगता है कि उनका संगीत न सिर्फ हमें भावनात्मक रूप से जोड़ता था, बल्कि एक प्रकार की सांस्कृतिक विरासत भी प्रदान करता था।

लता जी की आवाज में एक ऐसी ताकत थी, जो न केवल भारतीय सिनेमा, बल्कि पूरी दुनिया को मंत्रमुग्ध करती थी। उनकी आवाज को सुनते हुए हम हमेशा उस दौर के संगीत और शुद्धता को महसूस करते हैं, जो हमें कभी नहीं भूल पाएगा।

श्रद्धांजलि: एक युग का अंत

आज हम लता मंगेशकर की पुण्यतिथि पर उनकी महानता को याद करते हैं और उनके योगदान को सादर नमन करते हैं। उनका संगीत, उनकी आवाज और उनकी विरासत हमेशा जीवित रहेगी। लता दीदी, आप हमेशा हमारे दिलों में रहेंगी और आपके गीतों का जादू आने वाली पीढ़ियों को भी मंत्रमुग्ध करता रहेगा।