CATEGORIES

April 2025
M T W T F S S
 123456
78910111213
14151617181920
21222324252627
282930  
Wednesday, April 2   11:48:13

रतन टाटा को अंतिम विदाई: पारसी परंपरा और आधुनिकता का मिलन

भारतीय उद्योग जगत के महानायक, रतन नवल टाटा, अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके निधन ने न केवल टाटा परिवार, बल्कि पूरे देश को गहरे शोक में डुबो दिया है। तिरंगे में लिपटा उनका पार्थिव शरीर नरीमन पॉइंट स्थित नेशनल सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स में रखा गया, जहां लोग उन्हें अंतिम श्रद्धांजलि देने के लिए आए। यहां से उनका अंतिम संस्कार वर्ली के पारसी श्मशान भूमि में किया जाएगा, लेकिन इस बार पारंपरिक दखमा के बजाय एक अलग प्रक्रिया अपनाई जाएगी।

पारसी समुदाय की अनूठी परंपरा

पारसी समुदाय की अंतिम संस्कार की परंपरा बहुत पुरानी है। इसका मुख्य आधार है ‘टावर ऑफ साइलेंस’, जहां पारसी शवों को गिद्धों के खाने के लिए छोड़ देते हैं। यह प्रक्रिया, जिसे ‘दोखमेनाशिनी’ कहा जाता है, पारसियों की धार्मिक मान्यताओं का हिस्सा है। लेकिन, हाल के वर्षों में गिद्धों की संख्या में आई कमी ने इस परंपरा को चुनौती दी है।

रतन टाटा का अनूठा अंतिम संस्कार

रतन टाटा का अंतिम संस्कार पारंपरिक तरीके से नहीं, बल्कि आधुनिकता की झलक दिखाते हुए होगा। पार्थिव शरीर को प्रेयर हॉल में रखा जाएगा, जहां पारसी रीति से शांति प्रार्थना की जाएगी। इसके बाद, इलेक्ट्रिक अग्निदाह से उनका अंतिम संस्कार होगा। यह बदलाव न केवल समय की आवश्यकता है, बल्कि पारसी समुदाय की संस्कृति को भी बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

रतन टाटा का अंतिम संस्कार हमें यह सिखाता है कि कैसे परंपरा और आधुनिकता का मिलन संभव है। यह एक नई सोच का प्रतीक है, जो हमें हमारे मूल्यों को बनाए रखते हुए आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। हमें इस दिशा में प्रयास करना चाहिए कि पारसी समुदाय की अद्भुत परंपराएं, चाहे वे कितनी भी पुरानी क्यों न हों, हमेशा जीवित रहें और उन्हें नयी राहें भी मिलें।

रतन नवल टाटा का निधन सिर्फ एक उद्योगपति की विदाई नहीं है; यह भारतीय उद्योग और समाज के लिए एक अनमोल धरोहर का अंत है। उन्होंने न केवल टाटा समूह को वैश्विक पहचान दिलाई, बल्कि अपने नैतिक मूल्यों और मानवीय दृष्टिकोण से भी एक मिसाल कायम की। उनकी उद्यमिता, मानवता के प्रति समर्पण, और समाज सेवा के प्रति प्रतिबद्धता हमें सिखाती है कि सफल होने के साथ-साथ समाज की भलाई के लिए काम करना कितना महत्वपूर्ण है।इस प्रकार, रतन टाटा की विदाई न केवल एक व्यक्तिगत क्षति है, बल्कि एक सामूहिक जिम्मेदारी है, जिसे हमें समझना और निभाना चाहिए।