भारतीय संसद के मौजूदा सत्र में चर्चा का एक नया केंद्रबिंदु बना है—जॉर्ज सोरोस। भाजपा और कांग्रेस के बीच जारी तीखे विवादों में यह नाम अक्सर सुनाई देता है। आखिर कौन हैं जॉर्ज सोरोस, और क्यों भारतीय राजनीति में उनका नाम इस कदर गूंज रहा है? क्या सच में उनका कांग्रेस पार्टी या सोनिया गांधी से कोई संबंध है?
कौन हैं जॉर्ज सोरोस?
जॉर्ज सोरोस हंगेरियन-अमेरिकन व्यवसायी, निवेशक और परोपकारी हैं। उनकी कुल संपत्ति लगभग 6.7 बिलियन डॉलर है। वे ओपन सोसाइटी फाउंडेशन के संस्थापक हैं, जिसे उन्होंने अब तक 32 बिलियन डॉलर से अधिक दान दिए हैं। फोर्ब्स ने उन्हें उनके उदार दान के लिए सबसे बड़ा परोपकारी व्यक्ति माना है।
सोरोस का जीवन विवादों और उपलब्धियों का मिश्रण है। 1973 में उन्होंने अपना हेज फंड शुरू किया और 1992 में ब्रिटिश पाउंड के खिलाफ सटीक दांव लगाकर दुनियाभर में चर्चा में आए। सोरोस अपने लिबरल और प्रोग्रेसिव विचारों के लिए जाने जाते हैं, लेकिन उनके विरोधी उन्हें सत्ता परिवर्तन और आर्थिक अस्थिरता के लिए जिम्मेदार ठहराते हैं।
भारत में विवादों की जड़
सोरोस ने कई बार भारत की नीतियों और सरकार पर बयान दिए हैं। विशेष रूप से कश्मीर मुद्दे और धारा 370 पर उनकी टिप्पणियां विवादित रही हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी लोकतंत्र के खिलाफ काम करने का आरोप लगाया था। 2023 में म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में अडानी समूह और हिंडनबर्ग रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि इससे प्रधानमंत्री मोदी पर असर पड़ सकता है।
भाजपा का आरोप और कांग्रेस का खंडन
भाजपा ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह जॉर्ज सोरोस जैसी अंतरराष्ट्रीय ताकतों के साथ मिलकर भारत को अस्थिर करने का प्रयास कर रही है। पार्टी का दावा है कि सोरोस के संगठन कश्मीर को स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के विचार का समर्थन करते रहे हैं। भाजपा ने सोनिया गांधी और राहुल गांधी के सोरोस से संबंध होने का आरोप लगाया है।
दूसरी ओर, कांग्रेस ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पार्टी का कहना है कि भाजपा अडानी विवाद से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे निराधार आरोप लगा रही है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि भाजपा अडानी से जुड़े रिश्वतखोरी के आरोपों को छिपाने के लिए यह “प्रोपेगैंडा” चला रही है।
जॉर्ज सोरोस को उनके परोपकार के लिए भी जाना जाता है। उन्होंने मानवाधिकार, शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स में अरबों डॉलर दान किए हैं। लेकिन कई देशों में उन्हें सत्ता परिवर्तन और करेंसी संकट को बढ़ावा देने के आरोपों का सामना करना पड़ा है। मलेशिया और थाईलैंड जैसे देशों ने उन पर आर्थिक अस्थिरता फैलाने का आरोप लगाया था।
क्या कहती है भारतीय राजनीति?
जॉर्ज सोरोस के नाम का इस्तेमाल भारत में दोनों राजनीतिक दल एक-दूसरे पर वार करने के लिए कर रहे हैं। भाजपा जहां इसे राष्ट्रवाद और बाहरी साजिश के एंगल से देखती है, वहीं कांग्रेस इसे ध्यान भटकाने की राजनीति करार देती है।
भारत में हो रही राजनीतिक हलचलों और उनके संभावित प्रभाव पर अभी और बहस होनी बाकी है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि संसद में इस मुद्दे पर और क्या विकास होता है और क्या सोरोस की भूमिका असल में उतनी ही बड़ी है जितनी की बीजेपी ने बताई है।सच क्या है. ये तो वक्त ही बताएगा, लेकिन यह निश्चित है कि यह मामला आने वाले दिनों में और अधिक चर्चा का विषय बनेगा।
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