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Tuesday, May 6   10:08:04

कोहिमा के लिए काल बनी भूस्खलन की तबाही, सरकार की जिम्मेदारी पर सवाल

नागालैंड की राजधानी कोहिमा को राष्ट्रीय राजमार्ग-29 से जोड़ने वाली मुख्य सड़क, मंगलवार 3 सितंबर की रात करीब 11 बजे, अचानक भूस्खलन के कारण ध्वस्त हो गई। इस हादसे में कम से कम एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी भी लापता हैं। घटना ने न केवल राज्य की सबसे महत्वपूर्ण कनेक्टिविटी को ठप कर दिया है, बल्कि पूरे राज्य में आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर दी है।

इस भयानक घटना का केंद्र बिंदु फेरीमा और पगला पहाड़ के इलाके थे, जहां लगातार हो रही बारिश के कारण पहाड़ के बड़े हिस्से टूट कर नीचे गिर गए। लगभग 500 मीटर के इस राजमार्ग को चट्टानों और मिट्टी के मलबे ने पूरी तरह से अवरुद्ध कर दिया, जिससे कोहिमा और दीमापुर के बीच का संपर्क कट गया। इससे पहले भी, इसी राजमार्ग पर तीन हफ्तों से भूस्खलन के कारण यातायात बाधित हो रहा था, और अब यह घटना ने लोगों को और अधिक चिंतित कर दिया है।

भूस्खलन के ये लगातार हादसे इस बात का इशारा हैं कि राज्य की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में कहीं न कहीं खामियां हैं। राष्ट्रीय राजमार्ग-29, जो असम, नागालैंड, और मणिपुर को जोड़ता है, पर बार-बार आने वाले भूस्खलन ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर क्यों इन मुद्दों का समय रहते समाधान नहीं हो पाता। राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएं।

यह घटना न केवल एक प्राकृतिक आपदा है, बल्कि सरकार की लापरवाही का भी एक प्रमाण है। जब यह राजमार्ग इतना महत्वपूर्ण है, तो इसके रखरखाव और सुरक्षा पर विशेष ध्यान क्यों नहीं दिया जाता? यह समय है कि सरकार केवल बातों से नहीं, बल्कि जमीनी स्तर पर काम करके दिखाए। जहां एक तरफ लोगों का जीवन संकट में है, वहीं सरकार को आपातकालीन स्थितियों के लिए वैकल्पिक मार्गों को भी सुधारने की आवश्यकता है। यह न केवल सड़क को फिर से बनाने का समय है, बल्कि उन लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का भी है, जो इस सड़क पर हर दिन यात्रा करते हैं।

यह हादसा उन लोगों के लिए एक त्रासदी है, जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को खो दिया है, और उन लोगों के लिए भी जो अब भी अपने प्रियजनों की सलामती के लिए प्रार्थना कर रहे हैं। सरकार को अब अपने कार्यों के प्रति गंभीर होना होगा और इस तरह की आपदाओं से बचने के लिए स्थायी समाधान ढूंढने होंगे।

राज्य में बार-बार होने वाली इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि यहां के लोगों का जीवन हमेशा खतरे में रहता है। अब समय है कि हम सभी इस संकट का सामना मिलकर करें और सरकार से ठोस कार्रवाई की मांग करें, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।