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जानें शरद पूर्णिमा के दिन क्यों है खीर का महत्व, इस बार क्या है खतरा

हिंदू कैलेंडर के मुताबिक हर महीने में एक पूर्णिमा और एक अमावस्या आती है। पूर्णिमा तिथि को सनातन धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है। हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस दिन चांद सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। इस दिन खीर बनाकर खुले आसमान में चांद के नीचे रखने और खाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। लेकिन, क्या आपको पता है इसके पीछे भी एक रहस्य छिपा हुआ है, जिससे बहुत कम लोग वाकिफ होंगे।

हिंदू मान्यताओं के मुताबिक इस दिन चांद धरती के सबसे करीब होता है और उसकी पॉजीटिल एनर्जी भी धरती के सबसे नजदीक होती है। माना जाता है कि खीर बाहर रखने से ये पॉजीटिव एनर्जी खीर में आ जाती है। इसे ग्रहण करने से ये हमारे अंदर भी आती है। इस दिन चंद्रमा सभी 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है।

गौरतलब है कि 2023 में 28 अक्टूबर के दिन इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है। ऐसी स्थिति में चांद पॉजीटिव न होकर नेगेटिव ऊर्जा का स्रोत होगा। इसलिए इस ग्रहण वाले चांद की रौशनी में खीर रखकर खाना अशुभ हो सकता है।