अरविंद श्रीनिवास की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणास्रोत है, जो चुनौतियों का सामना कर सफलता की ऊँचाइयों तक पहुँचना चाहते हैं। IIT में मनपसंद ब्रांच न मिलना हो या पीएचडी के लिए पसंदीदा यूनिवर्सिटी से अस्वीकृति, अरविंद ने कभी हार नहीं मानी। आज वे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके हैं।
चेन्नई, तमिलनाडु में जन्मे अरविंद श्रीनिवास को बचपन से गणित और टेक्नोलॉजी में रुचि थी। उन्होंने आईआईटी मद्रास में प्रवेश लिया, लेकिन कम रैंक के कारण उन्हें कंप्यूटर साइंस की जगह इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग ब्रांच मिली। बाद में, जब कंप्यूटर साइंस में शिफ्ट होने का मौका मिला, तो वे मात्र 0.01 CGPA से चूक गए।
आईआईटी के बाद, वे अमेरिका में पीएचडी करना चाहते थे और उनका सपना था कि वे MIT (मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) में दाखिला लें। लेकिन MIT ने उन्हें अस्वीकार कर दिया, जिसके कारण उन्हें कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में जाना पड़ा। इस अस्वीकृति से उनकी माँ भी निराश हुईं।
अरविंद श्रीनिवास ने AI पर रिसर्च की और उनकी प्रतिभा OpenAI के को-फाउंडर जॉन लेमन ने पहचानी। उन्होंने अरविंद को इंटर्नशिप के लिए बुलाया, जिसके बाद उन्होंने गूगल की रिसर्च लैब DeepMind में भी काम किया। 2021 में वे दोबारा OpenAI से जुड़े और 2022 में तीन अन्य साथियों के साथ मिलकर Perplexity AI की स्थापना की।
Perplexity AI: दुनिया का पहला आंसर इंजन
Perplexity AI को दुनिया का पहला ‘आंसर इंजन’ कहा जाता है, क्योंकि यह अन्य सर्च इंजनों की तरह केवल वेबसाइटों के लिंक नहीं दिखाता, बल्कि सीधे सटीक और विस्तृत उत्तर प्रदान करता है। इस स्टार्टअप में एमेज़ॉन के जेफ बेजोस और NVIDIA जैसी बड़ी कंपनियों ने निवेश किया है।
एलोन मस्क को दिया खुला चैलेंज
अरविंद श्रीनिवास तब चर्चा में आए जब उन्होंने एलोन मस्क को चुनौती दी। उन्होंने घोषणा की कि वे अमेरिका की अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसी (USAID) से लगभग 43 करोड़ रुपये का फंड जुटाने जा रहे हैं और अगर मस्क उन्हें रोक सकते हैं, तो रोक लें। गौरतलब है कि मस्क इस संस्था को बंद करने की बात कह चुके हैं।
प्रेरणादायक आदतें और जीवनशैली
कम्युनिकेशन स्टाइल: वे कम मीटिंग्स में विश्वास रखते हैं और टेक्स्ट के जरिए ही बातचीत करना पसंद करते हैं, जिससे समय की बचत होती है।
डेटा एनालिसिस: क्रिकेट के शौकीन अरविंद आँकड़ों के आधार पर खिलाड़ियों का मूल्यांकन करते हैं।
डेली रूटीन: वे सुबह जल्दी उठते हैं और सप्ताह में तीन दिन वर्कआउट करते हैं।
अरविंद न केवल AI में इनोवेशन कर रहे हैं, बल्कि भारत में AI के विकास के लिए भी समर्पित हैं। उन्होंने AI विशेषज्ञों को प्रशिक्षण देने के लिए सप्ताह में 5 घंटे देने और 9 करोड़ रुपये निवेश करने की इच्छा जताई है।
अरविंद श्रीनिवास की यात्रा यह साबित करती है कि असफलताओं के बावजूद यदि व्यक्ति अपने लक्ष्य पर अडिग रहता है, तो सफलता निश्चित होती है। कंप्यूटर साइंस की ब्रांच न मिलने से लेकर दुनिया के पहले AI आंसर इंजन के निर्माण तक, उनकी कहानी संघर्ष, मेहनत और सफलता का अनूठा उदाहरण है।
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