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जानें क्या होता है एग्जिट पोल!

30-11-2023

तेलंगाना में 30 नवंबर मतदान प्रक्रिया पूरी होते ही एग्जिट पोल का दौर शुरू हो जाएगा। तीन दिसंबर को आने वाले नतीजों से पहले तक इसी पर चर्चा होगी। कई बार एग्जिट पोल सही भी साबित होते हैं। लेकिन क्या है एग्जिट पोल, किस प्रकार से अंदेशा लगाया जाता है की किसका पलड़ा भारी है।

सबसे पहले जानिए क्या होता है एग्जिट पोल?

एग्जिट पोल एक चुनावी सर्वे की तरह होता है जिसे अलग-अलग कंपनियो द्वारा किया जाता है। इस प्रक्रिया में कंपनी की टीम अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों में मौजूद होती है और वोट डालकर बाहर आए लोगों से जानती है कि उन्होंने किसे वोट दिया। इस तरह टोटल डेटा को जुटाकर एक एनालिसिस किया जाता है कि किसे कितनी सीटें मिल सकती है।

अब जानते है की कितने चरणों में पूरी होती है यह पूरी प्रक्रिया?

भारत में एग्ज़िट पोल विभिन्न संगठनों के जरिये किए जाते हैं, इनमें समाचार मीडिया, निजी सर्वेक्षणकर्ता और एजुकेशन इंस्टिट्यूट शामिल है। एग्ज़िट पोल आम तौर पर कई चरणों में पूरा होता है।

सैंपल का सेलेक्शन : किसी भी एग्जिट पोल के लिए पहला स्टेप वोटर्स के वर्ग का चयन होता है। इसमें वोट डालकर निकले कई लोगों से बात की जाती है और उसे उस वर्ग का सैंपल माना जाता है। वोटर्स की कैटेगरी का चयन एज, जेंडर, कास्ट, रिलीजन और सामाजिक आर्थिक स्थिति के आधार पर चुना जाता है। उदाहरण के लिए किसी निर्वाचन क्षेत्र में टीम ने अलग-अलग वर्ग के 100 लोगों से बात की और उस सैंपल को उस खास वर्ग का डेटा मान लिया जाता है।

सैंपलिंग प्रक्रिया : एग्जिट पोल में अलग-अलग सैंपलिंग पद्धति का इस्तेमाल किया जाता है। जैसे कि रैंडम यानी अचानक सैंपलिंग, स्ट्रैटफाइड सैंपलिंग यानी स्तरीकृत सैंपलिंग और सिस्टमेटिक सैंपलिंग (व्यवस्थित सैंपलिंग)। रैंडम सैंपलिंग में अचानक से किसी भी वोटर से बात की जाती है। यह किसी भी वर्ग के हो सकते हैं। वहीं स्तरीकृत सैंपलिंग में अलग-अलग उप-समूहों के प्रतिनिधियों को शामिल करने की कोशिश होती है। इन दोनों से अलग सिस्टमेटिक सैंपलिंग में वोटर लिस्ट से बीच-बीच में मतदाताओं का चयन करके सवाल पूछा जाता है।

इंटरव्यू लेने वाला या सवाल पूछने वाले की ट्रेनिंग: एग्जिट पोल के लिए फील्ड पर उतरने से पहले सवाल पूछने वाले को ट्रेनिंग दी जाती है। इसके तहत उन्हें सिखाया जाता है कि वे कैसे मतदाताओं से विनम्रतापूर्वक संपर्क करेंगे और एग्जिट पोल के उद्देश्य को समझाते हुए तटस्थ और निष्पक्ष तरीके से सवाल पूछेंगे।

डेटा कलेक्शन : एग्जिट पोल का यह सबसे महत्वपूर्ण चरण होता है। इसमें सवाल पूछने वाला वोट डालकर निकले मतदाताओं से तुरंत बात करता है और उनसे पूछता है कि किसे वोट दिया, क्यों वोट दिया, उस वोटर की राजनीतिक प्राथमिकता क्या थी।

डेटा एंट्री और क्लीनिंग : जब एग्जिट पोल के लिए इंटररव्यू लेने वाली टीम वोटर्स से बात करके डेटा ले आती है तो उस डेटा को एक डेटाबेस में दर्ज किया जाता है। इसके बाद अगर उस डेटा में कोई कमी दिखती है तो उसे सही किया जाता है। इसमें ये भी देखा जाता है कि कोई डेटा मिस तो नहीं है, किसी में कोई कमी तो नहीं है।

डेटा विश्लेषण : एग्जिट पोल के इस आखिरी चरण में प्रत्येक पार्टी या उम्मीदवार के वोट शेयर का अनुमान लगाने के लिए स्टेटिस्टिकल मैथड का उपयोग करके डेटा का विश्लेषण किया जाता है। इसके बाद फाइनल सैंपल को उस वर्ग का प्रतिनिधि मानकर निचोड़ निकाला जाता है।