CATEGORIES

May 2025
M T W T F S S
 1234
567891011
12131415161718
19202122232425
262728293031  
Tuesday, May 6   6:53:52

ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि बनी किरण राव की ‘लापता लेडीज’

किरण राव की फिल्म ‘लापता लेडीज’ को ऑस्कर 2025 के लिए भारत की आधिकारिक प्रविष्टि के रूप में चुना गया है। यह फिल्म पितृसत्ता पर एक व्यंग्य है, जिसे 29 दावेदारों में से चुना गया।फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया (FFI) ने सोमवार को घोषणा की ,कि ‘लापता लेडीज’ को 2025 में ऑस्कर के अंतरराष्ट्रीय श्रेणी में प्रतिस्पर्धा करने के लिए चुना गया है।

फिल्म की कहानी और प्रमुख किरदार
‘लापता लेडीज’ एक हल्की-फुल्की, लेकिन गहरी व्यंग्यात्मक फिल्म है, जो पितृसत्ता पर प्रहार करती है। फिल्म की कहानी 2001 के ग्रामीण भारत में घटित होती है, जहां दो दुल्हनों की ट्रेन यात्रा के दौरान गलतफहमी में अदला-बदली हो जाती है। फिल्म में नितांशी गोयल ने भोली-भाली फूल का किरदार निभाया है, जबकि प्रमुख भूमिकाओं में प्रतिभा रंटा, स्पर्श श्रीवास्तव, रवि किशन, छाया कदम और गीता अग्रवाल शर्मा भी नजर आएंगे।

कौन-कौन सी फिल्में थीं दावेदारी में?
इस फिल्म को 29 फिल्मों की सूची में से चुना गया, जिसमें बॉलीवुड की हिट फिल्म ‘एनिमल’, मलयालम की नेशनल अवॉर्ड विजेता ‘आट्टम’, और कान्स विजेता ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ शामिल थीं।इसके अलावा, तमिल फिल्म ‘महाराजा’, तेलुगु फिल्में ‘कल्कि 2898 AD’ और ‘हानु-मान’, साथ ही हिंदी फिल्मों ‘स्वतंत्र्य वीर सावरकर’ और ‘आर्टिकल 370’ भी इस दौड़ में थीं।मलयालम की ब्लॉकबस्टर ‘2018: एवरीवन इज ए हीरो’ को पिछले साल ऑस्कर के लिए भेजा गया था।

किरण राव का सपना हुआ साकार
फिल्म की सफलता पर प्रतिक्रिया देते हुए किरण राव ने कहा, “FFI हर साल सर्वश्रेष्ठ फिल्म का चयन करता है और अगर हमारी फिल्म को चुना गया है, तो यह हमारे लिए एक बड़ा सम्मान होगा। हालांकि, हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण दर्शकों का प्यार और बॉक्स ऑफिस पर उनकी प्रतिक्रिया है।”उन्होंने आगे कहा, “हमारी असली पहचान तभी मिलेगी जब दर्शक हमारी मेहनत को सराहेंगे। अगर दर्शकों और देश ने हमारे काम को सराहा, तो वही हमारे लिए सबसे बड़ा पुरस्कार होगा।”

‘लापता लेडीज’ केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि एक सशक्तिकरण की कहानी है। पितृसत्ता पर व्यंग्य करते हुए, यह फिल्म समाज के उन धारणाओं को चुनौती देती है, जो महिलाओं को केवल परंपरागत भूमिकाओं तक सीमित रखती हैं। किरण राव ने इस फिल्म के जरिए न सिर्फ एक गंभीर मुद्दे को उठाया है, बल्कि इसे हास्य के साथ प्रस्तुत कर एक नया दृष्टिकोण दिया है। इस फिल्म का ऑस्कर के लिए चयन भारतीय सिनेमा की गहराई और सामाजिक मुद्दों पर उसकी पकड़ को दर्शाता है।