दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने चुनाव आयोग पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने चुनाव आयोग पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के आगे समर्पण करने का आरोप लगाया। साथ ही, उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार से सवाल किया कि भाजपा ने आपको कौन-सा पद ऑफर किया है, जिसके कारण आपने दिल्ली को दांव पर लगा दिया है?
केजरीवाल ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार इस महीने के अंत में रिटायर हो रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया –”निवृत्ति के बाद आपको कौन-सा पद ऑफर हुआ कि आपने पूरे देश को दांव पर लगा दिया? क्या वह गवर्नर का पद है या राष्ट्रपति का?”
आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने भाजपा के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है और राजीव कुमार ने रिटायरमेंट के बाद किसी पद की लालच में देश के लोकतंत्र को गिरवी रख दिया है।
“लोकतंत्र के लिए स्वतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानी दी, उसे बेचो मत”
अरविंद केजरीवाल ने भावनात्मक अपील करते हुए कहा –”अगर आपको वह पद पाने के लिए देश के लोकतंत्र से समझौता करना पड़े, जिसके लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने कुर्बानियां दी थीं, तो मैं मानता हूं कि ऐसा कोई भी पद लेने लायक नहीं है।”
उन्होंने चुनाव आयुक्त से ईमानदारी से अपना कर्तव्य निभाने और सत्ता की लालसा छोड़ने की अपील की।
केजरीवाल का भाजपा पर बड़ा हमला
केजरीवाल ने भाजपा पर भी गुंडागर्दी करने और AAP कार्यकर्ताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि दिल्ली पुलिस भाजपा के दबाव में काम कर रही है और स्थिति को नियंत्रित करने में असमर्थ है।
केजरीवाल ने सवाल उठाया –
“देश में सबसे बड़ा गुंडा कौन है जो कानून से नहीं डरता?”
“वह कौन है जो पत्रकारों की गिरफ्तारी करवा रहा है?”
“वह कौन है जो खुलेआम AAP कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर हमला करवा रहा है?”
“वह कौन है जिसके आदेश पर दिल्ली पुलिस काम कर रही है, लेकिन खुद को असहाय महसूस कर रही है?”
AAP और भाजपा शासन की तुलना
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा और AAP शासन की तुलना करते हुए कहा –
“एक पार्टी आम लोगों के हर महीने 25,000 रुपये बचा रही है, जबकि दूसरी पार्टी गुंडागर्दी में व्यस्त है।”
केजरीवाल ने आरोप लगाया कि भाजपा जनता के मुद्दों पर ध्यान देने के बजाय विपक्ष को दबाने में लगी है। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग निष्पक्ष रूप से काम करने के बजाय भाजपा की कठपुतली बन गया है।
क्या चुनाव आयोग का फैसला पक्षपातपूर्ण है?
केजरीवाल के आरोपों के बाद यह बहस तेज हो गई है कि क्या चुनाव आयोग अपने फैसले निष्पक्ष रूप से ले रहा है या फिर सरकार के दबाव में काम कर रहा है। विपक्षी दल लगातार चुनाव आयोग की स्वतंत्रता पर सवाल उठा रहे हैं और इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बता रहे हैं।
अब देखना होगा कि इस विवाद पर चुनाव आयोग और सरकार की क्या प्रतिक्रिया आती है। क्या राजीव कुमार इस आरोपों का जवाब देंगे? क्या चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर मंडरा रहे संदेह को दूर किया जाएगा? या फिर यह मुद्दा चुनावी जंग में एक और बड़ा विवाद बन जाएगा?
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