बेंगलुरु, 6 मार्च: कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की एक्ट्रेस रान्या राव, जिन्हें हाल ही में बेंगलुरु इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर गिरफ्तार किया गया, अब तस्करी के आरोपों में घिर चुकी हैं। 3 मार्च को दुबई से लौटते वक्त रान्या को 14.2 किलो सोने के साथ पकड़ा गया था, जिसे उन्होंने अपनी बेल्ट में छिपा रखा था। इस गिरफ्तारी के बाद, पुलिस ने उनकी लावेल रोड स्थित आलीशान अपार्टमेंट की तलाशी ली, जहां से 2 करोड़ रुपए की ज्वेलरी और 2.7 करोड़ रुपए नकद बरामद किए गए।
रान्या राव कर्नाटक पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के डीजीपी रामचंद्र राव की सौतेली बेटी हैं, और इस मामले ने राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचाई है। डीजीपी रामचंद्र राव ने मीडिया से कहा कि उन्हें अपनी सौतेली बेटी के बारे में इस अपराध की जानकारी नहीं थी और यह उनके करियर पर कोई असर नहीं डालेगा। रान्या की गिरफ्तारी से पहले, वह कई बार दुबई जा चुकी थीं, और सुरक्षा एजेंसियां उनकी गतिविधियों पर नजर रख रही थीं।
तस्करी की असली कहानी
रान्या राव ने अपने कपड़ों और शरीर के विभिन्न हिस्सों में सोने को छिपाया था। जांच में सामने आया कि उन्होंने सोने की तस्करी के लिए अपनी बॉडी पर टेप और मॉडिफाइड जैकेट का इस्तेमाल किया था। सूत्रों के अनुसार, रान्या को हर एक किलो सोना लाने पर 1 लाख रुपए का भुगतान किया जाता था, जिससे वह हर ट्रिप में 12 से 13 लाख रुपए कमाती थीं।
डीआरआई अधिकारियों का दावा है कि रान्या एक बड़े तस्करी नेटवर्क का हिस्सा हो सकती हैं और उनकी गिरफ्तारी के बाद अब यह जांच की जा रही है कि क्या वह पहले भी इस तरह की गतिविधियों में शामिल रही हैं। रान्या ने मामले में अपने ऊपर लगे आरोपों को नकारते हुए दावा किया कि वह बिजनेस के सिलसिले में दुबई गई थीं।
राजनीतिक और कानूनी प्रतिक्रिया
इस मामले पर विपक्षी नेताओं ने प्रतिक्रिया दी है। कांग्रेस विधायक एएस पोन्नना ने इसे एक दुर्घटना करार दिया और कहा कि कानून सभी के लिए समान है, चाहे वह डीजीपी की बेटी हो या आम नागरिक की। वहीं, भाजपा विधायक डॉ. भरत शेट्टी ने इस घटना को सत्ता के दुरुपयोग से जोड़ते हुए सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
रान्या राव को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है, और आगे की जांच जारी है।
यह घटना न केवल एक हाई-प्रोफाइल केस है, बल्कि यह सोने की तस्करी से जुड़ी गंभीर समस्याओं को भी उजागर करती है। रान्या राव जैसी मशहूर हस्तियों का इस तरह के अपराध में शामिल होना, समाज के विभिन्न वर्गों के लिए एक गंभीर चेतावनी हो सकती है। ऐसे मामलों में कानून की पकड़ और निष्पक्षता सुनिश्चित करना बेहद आवश्यक है, ताकि तस्करी के नेटवर्क को पूरी तरह से समाप्त किया जा सके।
यह मामला सत्ता, धन और कानूनी न्याय के बीच संतुलन की चुनौती भी प्रस्तुत करता है। साथ ही यह याद दिलाता है कि चाहे कोई भी हो, यदि अपराध किया है, तो उसे सजा मिलनी चाहिए।
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