भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नेता और मंडी से सांसद कंगना रनौत ने बुधवार को तीन कृषि कानूनों को लेकर दिए गए बयान पर माफी मांगी, जिसने भारी विवाद को जन्म दिया। विपक्ष ने भाजपा को घेरते हुए कंगना के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
कंगना ने एक वीडियो में कहा, “पिछले कुछ दिनों में मुझसे मीडिया ने कृषि कानूनों पर सवाल किए और मैंने सुझाव दिया कि किसानों को प्रधानमंत्री से इन कानूनों को वापस लाने की अपील करनी चाहिए। मेरे इस बयान से कई लोग नाराज़ हो गए। जब ये कानून प्रस्तावित किए गए थे, तो बहुत से लोग इसका समर्थन कर रहे थे, लेकिन हमारे प्रधानमंत्री ने पूरी संवेदनशीलता और सहानुभूति के साथ इन कानूनों को वापस लिया।”उन्होंने आगे कहा, “यह हर भाजपा सदस्य का कर्तव्य है कि वह प्रधानमंत्री के शब्दों की गरिमा बनाए रखे। अब मैं सिर्फ एक अभिनेत्री नहीं, बल्कि भाजपा की सदस्य हूं, और मुझे यह ध्यान रखना चाहिए कि मेरे विचार मेरे व्यक्तिगत नहीं बल्कि पार्टी की नीति के अनुरूप हों। अगर मेरे शब्दों से किसी को ठेस पहुंची है, तो मैं माफी मांगती हूं और अपने शब्द वापस लेती हूं।”कंगना के इस वीडियो से कुछ घंटे पहले उन्होंने कहा था कि उनके विचार व्यक्तिगत हैं और भाजपा की आधिकारिक राय का प्रतिनिधित्व नहीं करते।
उन्होंने एक्स पर लिखा, “मेरे विचार कृषि कानूनों पर व्यक्तिगत हैं और ये पार्टी की राय का प्रतिनिधित्व नहीं करते।”भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कंगना के बयान पर सफाई देते हुए कहा, “कंगना रनौत भाजपा की ओर से ऐसा कोई बयान देने के लिए अधिकृत नहीं हैं और उनके विचार पार्टी की राय का प्रतिनिधित्व नहीं करते। हम उनके बयान से असहमति जताते हैं।”इससे पहले, मीडिया कर्मियों से बात करते हुए कंगना ने कहा था, “किसानों को हुए नुकसान की भरपाई होनी चाहिए। यह विवादास्पद हो सकता है, लेकिन मुझे लगता है कि किसानों को इस मांग को खुद उठाना चाहिए ताकि वे किसी तरह का नुकसान न उठाएं।”
उन्होंने आगे कहा, “किसान हमारे देश की रीढ़ हैं, और उनकी भलाई के लिए तीनों कानूनों पर दोबारा विचार किया जाना चाहिए। केवल कुछ राज्यों ने इन पर आपत्ति जताई थी, लेकिन सभी किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए इन पर पुनर्विचार जरूरी है। मैं हाथ जोड़कर विनती करती हूं कि इन कानूनों पर फिर से गौर किया जाए।”
यह पूरा विवाद एक बात को साफ करता है कि जब आप किसी राजनीतिक दल से जुड़े होते हैं, तो आपकी राय केवल आपकी नहीं होती। कंगना का यह कदम बताता है कि उन्हें अब एक नेता और एक पार्टी के अनुयायी के रूप में खुद को नए सांचे में ढालना होगा। हालांकि, यह सवाल भी उठता है कि क्या राजनीतिक व्यक्तित्व की व्यक्तिगत राय भी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी पार्टी की नीतियों के प्रति निष्ठा?क्या कंगना की माफी के बाद यह विवाद समाप्त हो जाएगा, या यह एक नए राजनीतिक मोड़ का संकेत है?
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