बॉलीवुड अभिनेत्री और फिल्म निर्माता कंगना रनोट की आगामी फिल्म ‘इमरजेंसी’ 17 जनवरी को सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली है। यह फिल्म भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल के दौरान लगी आपातकाल (1975-1977) की घटनाओं पर आधारित है। हालांकि, कंगना ने इस फिल्म को बनाने में आई कठिनाइयों को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने साफ कहा कि अब वे कभी भी राजनीतिक विषयों पर फिल्म नहीं बनाएंगी, क्योंकि यह बेहद मुश्किल भरा अनुभव रहा है।
“अब कभी राजनीतिक फिल्म नहीं बनाऊंगी” – कंगना
न्यूज 18 शोशा को दिए गए एक इंटरव्यू में कंगना ने कहा,
“मैं अब कभी कोई राजनीतिक फिल्म नहीं बनाऊंगी। इस अनुभव ने मुझे बिल्कुल प्रेरित नहीं किया। अब मुझे समझ में आ गया कि क्यों ज्यादातर लोग वास्तविक जीवन के किरदारों पर फिल्म बनाने से बचते हैं।”
उन्होंने अनुपम खेर द्वारा निभाए गए ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ में मनमोहन सिंह के किरदार की तारीफ करते हुए कहा कि यह उनकी बेहतरीन परफॉर्मेंस में से एक थी। लेकिन साथ ही यह भी जोड़ा कि वे अब दोबारा इस तरह की फिल्म बनाने का जोखिम नहीं उठाएंगी।
निर्माण में आई आर्थिक और तकनीकी समस्याएं
कंगना रनोट ने बताया कि ‘इमरजेंसी’ के निर्माण के दौरान उन्हें वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा। फिल्म के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रू को हायर किया गया था, जिनकी फीस हर हफ्ते चुकानी पड़ती थी। शूटिंग कोविड काल में हो रही थी, जिससे अतिरिक्त खर्च भी बढ़ गया। इसके अलावा असम में आई बाढ़ और अन्य कई बाधाओं के कारण फिल्म निर्माण में दिक्कतें आईं।
“एक निर्माता और निर्देशक के रूप में मैं खुद से ही संघर्ष कर रही थी। मुझे और पैसे चाहिए थे, लेकिन मैं यह किससे कहती? किसके पास जाती? मैं चाहकर भी अपनी निराशा किसी से साझा नहीं कर सकती थी,” कंगना ने अपनी मजबूरी जाहिर करते हुए कहा।
सेंसर बोर्ड और सिख समुदाय की आपत्तियों के कारण देरी
‘इमरजेंसी’ का ट्रेलर पहले 14 अगस्त 2024 को रिलीज किया गया था। हालांकि, इसमें दिखाए गए कुछ दृश्यों पर सिख संगठनों ने आपत्ति जताई। उन्होंने आरोप लगाया कि फिल्म में जरनैल सिंह भिंडरांवाले और सिखों को गलत तरीके से पेश किया गया है। इसके बाद सेंसर बोर्ड (CBFC) ने फिल्म को हरी झंडी देने से पहले तीन दृश्यों को हटाने और दस बदलाव करने के निर्देश दिए।
फिल्म को पहले 6 सितंबर 2024 को रिलीज किया जाना था, लेकिन सेंसर बोर्ड की अनुमति में देरी के कारण इसकी रिलीज आगे बढ़ा दी गई। कंगना ने यह भी दावा किया कि CBFC ने पहले फिल्म को प्रमाण पत्र दे दिया था, लेकिन बाद में “धमकियों के कारण” इसे रोक दिया गया।
“इंदिरा गांधी की हत्या और पंजाब दंगों पर प्रेशर था”
कंगना ने यह भी कहा कि फिल्म में इंदिरा गांधी की हत्या, भिंडरांवाले और पंजाब दंगों को लेकर बहुत प्रेशर था। उन्होंने कहा,
“हम पर दबाव था कि हम इंदिरा गांधी की हत्या न दिखाएं, भिंडरांवाले को न दिखाएं, पंजाब दंगे न दिखाएं। मुझे नहीं पता कि फिर हम क्या दिखाएं?”
उन्होंने यह भी दावा किया कि CBFC के अधिकारियों को धमकियां मिल रही थीं, जिसके चलते फिल्म की रिलीज में देरी हुई।
कंगना का राजनीतिक सफर और फिल्म की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कंगना रनोट अब न केवल एक अभिनेत्री हैं, बल्कि एक सांसद भी हैं। वे 2024 के लोकसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश की मंडी लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के टिकट पर चुनाव जीती थीं।
उनकी फिल्म ‘इमरजेंसी’ भारत के इतिहास के सबसे विवादास्पद समय पर आधारित है, जब इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था। इस दौरान प्रेस की स्वतंत्रता पर रोक लगा दी गई थी, विरोधियों को जेल में डाल दिया गया था, और लोकतंत्र के मूल अधिकारों पर सवाल उठे थे।
क्या राजनीतिक फिल्में बनाना अब जोखिम भरा हो गया है?
कंगना रनोट का यह बयान कि वे अब कभी राजनीतिक फिल्में नहीं बनाएंगी, इस बात को दर्शाता है कि ऐतिहासिक और राजनीतिक घटनाओं पर फिल्म बनाना कितना कठिन हो सकता है। ‘इमरजेंसी’ जैसी फिल्में बनाने में सिर्फ आर्थिक और तकनीकी कठिनाइयाँ ही नहीं, बल्कि सेंसरशिप, राजनीतिक दबाव और सामाजिक विरोध भी एक बड़ी चुनौती बनते हैं।
हालांकि, यह भी सच है कि ऐसी फिल्मों को दर्शकों तक पहुंचना चाहिए, क्योंकि वे इतिहास के महत्वपूर्ण पहलुओं को सामने लाती हैं। राजनीतिक फिल्मों की जरूरत हमेशा बनी रहेगी, लेकिन निर्माताओं को अब अधिक संतुलित और तथ्यात्मक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता होगी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ‘इमरजेंसी’ बॉक्स ऑफिस पर कितना प्रभाव डालती है और दर्शक इसे किस नजरिए से देखते हैं। क्या यह फिल्म एक नई बहस को जन्म देगी या फिर विवादों में ही उलझी रह जाएगी? यह तो 17 जनवरी के बाद ही पता चलेगा।
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