राजू भरवाड, जिसे वडोदरा में लोग कालू भरवाड के नाम से भी जानते हैं, वडोदरा के एक अद्वितीय फोटोग्राफर हैं, जिन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश के ललितकला अकादमी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय फोटोग्राफी प्रतियोगिता में पुरस्कार जीतकर अपनी कला का प्रभावशाली प्रदर्शन किया। उनका फोटोग्राफी का सफर न केवल तकनीकी कौशल का परिचायक है, बल्कि यह समाज के प्रति उनकी गहरी संवेदनाओं का भी प्रमाण है।
आदिवासी त्योहारों का अद्भुत दस्तावेज़
कालू भरवाड़ की फोटोग्राफी का मुख्य आकर्षण आदिवासी संस्कृति है। उन्होंने छोटाउदेपुर के आदिवासी त्योहारों की जीवंतता को अपने कैमरे में कैद किया है। कालू भरवाड़ कहते हैं, “मुझे आदिवासी जीवन बहुत पसंद है। ये लोग सादगी में रहते हैं और उनकी परंपराएं अद्भुत हैं।” उनका मानना है कि आदिवासी त्योहार केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं हैं, बल्कि ये उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं।
राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने का सफर
कालू भरवाड़ ने ललित कला अकादमी की राष्ट्रीय फोटोग्राफी प्रतियोगिता में आदिवासी संस्कृति उजागर करने का निर्णय तब लिया जब उन्होंने देखा कि आदिवासी समुदाय अपनी परंपराओं और रीतियों के प्रति कितना समर्पित है। उन्होंने अपने काम के लिए इन त्योहारों की तैयारी और उनकी विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित किया। उनका कहना है की “मैंने देखा कि त्योहार के दौरान लोग कितनी मेहनत करते हैं। वे 2 दिन तक उपवास रखते हैं और तैयार होते हैं,” कालू भरवाड़ ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा।
उनकी फोटोग्राफी ने यह दिखाया कि आदिवासी लोग केवल त्योहार नहीं मनाते, बल्कि ये उनके जीवन के जश्न होते हैं। कालू भरवाड़ ने बताया, “मेरा लक्ष्य था कि मैं उनकी इस मेहनत और उत्सव के जज़्बे को कैमरे में कैद कर सकूँ।”
समाज में योगदान
कालू भरवाड की फोटोग्राफी सिर्फ एक कला नहीं है; यह उनके समुदाय के लिए एक जिम्मेदारी है। वे शिक्षा और कला के माध्यम से अपने समाज को प्रबुद्ध करने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “मैंने आदिवासी जीवन की गहराई को समझा है और उसे अपने काम के जरिए उजागर करने का प्रयास किया है,”।
कालू भरवाड की कहानी हमें यह सिखाती है कि यदि आप अपने सपनों के प्रति सच्चे हैं और कठिनाईयों का सामना करते हैं, तो सफलता अवश्य मिलेगी। उनकी फोटोग्राफी केवल चित्रों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह एक यात्रा है, जो हमें समाज के विभिन्न रंगों और उनकी कहानियों से अवगत कराती है।
आगे भी कालू भरवाड़ अपने अद्भुत काम से हमें प्रेरित करते रहेंगे और आदिवासी संस्कृति को उजागर करने का अपना प्रयास जारी रखेंगे। उनकी फोटोग्राफी से हमें यह समझने का अवसर मिलता है कि हर तस्वीर में एक नया अनुभव छिपा होता है।
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