भारत के हर चौक चौराहों पर हमें मंदिर देखने को मिलते हैं। कई सारे बड़े मंदिरों की खूब मान्यता है। वैसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश में स्थित है। मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के सिहोनियां कस्बे में स्थित आपको शिवजी का एक ऐसा मंदिर मिलेगा जिसे देखकर लगता है मानो यह अभी ही गिर जाएगा। मंदिर की तस्वीरें देख कर आप भी ये समझ गए होंगे।
जी हाँ हम बात कर रहे हैं ककनमठ मंदिर की। ककनमठ मंदिर हज़ारों साल पुराना है। यह एक शिवजी का मंदिर है। माना जाता है कि यह मंदिर एक ही रात में बनकर तैयार हो गया था। लेकिन, इसे किसी इंसान ने नहीं, बल्कि भूतों ने बनाया था। वहां के निवासियों का कहना है कि जिस ज़मीन पर यह मंदिर था, वह बस एक खाली मैदान था। एक दिन अचानक जब सुबह वहां रहने वालों की आँख खुली तो यह मंदिर मौजूद था।
देखने पर यह मंदिर एकदम खंडित लगता है। लेकिन असल में ऐसा नहीं है। कथानुसार इस मंदिर को भूतों ने सिर्फ एक रात में केवल पत्थरों का इस्तेमाल करके तैयार किया है। इसको बनाने में किसी भी लोहे का या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ है। ये मंदिर जमीन से लगभग 115 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। अंदर जाते ही इसके टूटे फूटे अवशेष मिलते हैं। लेकिन इतनी प्राकृतिक आपदाओं को झेलकर आज भी यह मंदिर वैसा का वैसा ही खड़ा है। आसपास के मंदिर टूट गए लेकिन यह नहीं टूटा।
शिवलिंग के दर्शन करने के लिए पहले कई सारी सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है। इस शिवलिंग की बहुत मान्यता है। एक वजह यह है कि क्यूंकि इसे भूतों ने बनाया है और शिवजी का एक नाम भूतनाथ भी है। भूतों को शिवजी का भक्त माना जाता है।
हालाँकि इस मंदिर पर मुग़लों ने लगातार हमले किए थे। कुछ लोगों का कहना है कि इस मंदिर की यह स्थिति उन हमलों के कारण हुई है, नाकि किसी भूतों के इसको अधूरा छोड़ने की वजह से। लेकिन, आज भी इस मंदिर से जुड़े कुछ ऐसे रहस्य है जो इस बात की ओर संकेत करते हैं कि इसे किसी इंसान ने नहीं बल्कि भूतों ने बनाया है। मंदिर के बाहर इसी मंदिर के पत्थर पड़े हुए मिलेंगे। अगर कोई भी इनमें से एक भी पत्थर को लेके जाने की कोशिश करता है तो यह मंदिर हिलने लगता है। इसके गिर जाने के डर से लोग वह पत्थर वापस वहीं रख देते हैं।
बता दें कि यह मंदिर जिन पत्थरों से बना है वह पत्थर आस पास के इलाकों में नहीं मिलता है। मंदिर के कई अवशेष ग्वालियर के एक म्यूजियम में रखे हुए हैं।
इस मंदिर के बनने की एक और कहानी है। कहा जाता है कि इस मंदिर को कछवाहा वंश के राजा कीर्ति राज ने 11वीं शताब्दी में बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि रानी ककनावती महादेव की बड़ी भक्त थी, जिस वजह से इस मंदिर का नाम रानी के नाम पर रखा गया था।
पूजा की बात करें तो लोगों को रात को यहां तंत्र मंत्र की आवाज़ें सुनाई देती है। हालांकी इसकी वजह संतों द्वारा की जाने वाली तंत्र विद्या हो सकती है। कई वैज्ञानिकों ने इसके आर्किटेक्चर और वास्तुकला को समझने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहे। चाहे इसके बनने के पीछे की कहानी जो भी हो, लेकिन इस मंदिर की मान्यता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है।
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